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Online class: ऑनलाइन गेम और नए एप्लीकेशन में 3 साल के बच्चे भी हो गए Champion

कोरोना के कारण पिछले साल से ही बच्चे (children) स्कूलों (schools) में पढ़ाई करने नहीं जा पा रहे हैं. ऐसे में घर में रहकर ही ऑनलाइन (online) माध्यम से बच्चे पढ़ाई कर रहे हैं. मोबाइल फोन (mobile phone), लैपटॉप ( laptop), टैबलेट (tablet) का इस्तेमाल कर रहे इन बच्चों को ऑनलाइन गेमिंग (online gaming) और नए एप्लीकेशन (new applications) में महारत हासिल हो गई है.

Children become digital friendly due to online classes
ऑनलाइन गेम

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Published : Jun 7, 2021, 8:00 PM IST

नई दिल्ली:लॉकडाउन के चलते पिछले करीब 2 सालों से बच्चे ऑनलाइन माध्यम से पढ़ाई कर रहे हैं. छोटे बच्चों से लेकर बड़े बच्चों तक की कक्षाएं ऑनलाइन माध्यम से हो रही हैं, जिसके लिए मोबाइल फोन (mobile phone), लैपटॉप ( laptop), टैबलेट (tablet) के इस्तेमाल में बच्चे ज्यादा समय बिता रहे हैं. इसको लेकर जहां अभिभावक चिंतित भी हैं. वहीं इन चीजों के अधिक से अधिक इस्तेमाल के चलते बच्चे डिजिटल फ्रेंडली भी हो गए हैं. 3 साल की उम्र से लेकर 12 साल तक के बच्चे ऑनलाइन नए-नए एप्लीकेशन (new applications) और सॉफ्टवेयर (Software) का इस्तेमाल करना सीख गए हैं.

ऑनलाइन गेम और नए एप्लीकेशन में 3 साल के बच्चे भी महारत हासिल कर रहे

PDF से भेज रहे होमवर्क

3 साल की वीरा की मां सुष्मिता ने ईटीवी भारत (ETV BHARAT) को बताया बेटी का अभी एडमिशन कराया है. उसकी ऑनलाइन क्लासेस (online classes) होती हैं. जिसमें वह उसके साथ बैठकर उसे पढ़ाती हैं, लेकिन कुछ ही समय में वह फोन को बहुत अच्छे से इस्तेमाल करना सीख गई है, फोन को खुद ऑन करना, ऑनलाइन गेम खेलना, यूट्यूब पर कार्टून आदि वीडियो देखना, अलग-अलग एप्लीकेशन डाउनलोड करना.

वहीं 11 साल के प्रथम जो कि सातवीं क्लास में पढ़ रहे हैं और ऑनलाइन क्लासेस ले रहे हैं. उन्होंने बताया कि पहले फोन, लैपटॉप (laptop) या टैबलेट (tablet) का इस्तेमाल करना नहीं आता था, लेकिन लगातार ऑनलाइन क्लास (online classes) लेने के चलते सब एप्लीकेशन और गैजेट्स का इस्तेमाल करना बहुत अच्छे से आ गया है. क्लास क्योंकि ऑनलाइन (online classes) ही होती है, होमवर्क (home work) करना होता है, पीडीएफ (PDF) बनाकर टीचर्स को सेंड करना होता है.

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कई बार दूसरे सॉफ्टवेयर पर क्लास के लिए कनेक्ट होना होता है. साथ ही उन्होंने बताया कि किसी भी टॉपिक से जुड़ी जानकारी भी हम खुद ऑनलाइन (online) ही ढूंढ लेते हैं. यह चीजें आसान हो गई हैं. ऑनलाइन क्लासेस से जहां नॉलेज बढ़ रही है वहीं जनरल नॉलेज भी मजबूत हो रही है.

एप्लीकेशन ऑफ सॉफ्टवेयर के हुए उस्ताद

इसके साथ ही 9 साल के गगन जो पांचवीं क्लास में पढ़ रहे हैं, लगातार ऑनलाइन क्लास (online classes) के चलते वाट्सऐप (Whatsapp) का बेहद अच्छे से इस्तेमाल करना सीख गए हैं. अपने दोस्तों को मैसेज सेंड करना वीडियो कॉल (video call) पर कनेक्ट होना और होमवर्क (home work) सेंड करना भी अब उन्हें आ गया है.

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बच्चों की ऑनलाइन क्लासेज के चलते न केवल बच्चे बल्कि उनके अभिभावक भी डिजिटली काफी स्मार्ट हो गए हैं. किसी भी सॉफ्टवेयर (Software) इंजीनियर की तरह चीजों को इस्तेमाल कर रहे हैं.

बच्चों के साथ अभिभावक भी हुए स्मार्ट

प्रथम की मां स्वाति ने बताया पहले फोन (Phone) आदि का इतना इस्तेमाल नहीं होता था. पीडीएफ (PDF), ईमेल, माइक्रोसॉफ्ट इन सब एप्लीकेशन (Applications) और सॉफ्टवेयर (Software) का इस्तेमाल ज्यादा हो गया है. हमें भी बच्चे की ऑनलाइन क्लास (online classes) के दौरान उसके साथ इंवॉल्व होना पड़ता है. इसीलिए हमने भी यह सभी चीजें सीख ली हैं, जिससे हम बच्चे की मदद भी कर पाते हैं और उसकी टीचर से भी कनेक्ट रह पाते हैं.

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बच्चा किस प्रकार से ऑनलाइन पढ़ाई (online study) कर रहा है. इस पर भी ध्यान दे पाते हैं. वहीं 8 साल के मयंक के पिता नीरज पालीवाल बताते हैं कि कोरोना (corona) के चलते ऑनलाइन क्लासेस (online classes) से बच्चों की पढ़ाई बाधित नहीं हुई है.

लगातार पिछले 2 सालों से ऑनलाइन माध्यम से बच्चों की पढ़ाई चल रही है. यदि ऑनलाइन क्लासेस (online classes) नहीं होती तो बच्चों की पढ़ाई बीच में छूट जाती. उनका साल बर्बाद हो जाता और बच्चों की शिक्षा (children's education) पर इसका बहुत बुरा असर पड़ता.

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