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Minister Vs Officers: गहमागहमी के बीच दिल्ली के मुख्य सचिव ने सिविल सर्विस बोर्ड की बुलाई बैठक - सेवा विभाग के सचिव आशीष मोरे को कारण बताओ नोटिस

दिल्ली सरकार और अफसरों के गहमागहमी के बीच मुख्य सचिव ने मंगलवार को सिविल सर्विस बोर्ड की अहम बैठक बुलाई है. बताया जा रहा है कि इसमें सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद उत्पन्न हालात पर अफसरों के बीच चर्चा होगी.

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Published : May 15, 2023, 9:05 PM IST

नई दिल्ली: दिल्ली में अधिकारियों की ट्रांसफर पोस्टिंग पर सुप्रीम कोर्ट का आदेश और फिर सेवा विभाग के सचिव का ट्रांसफर करने के मंत्री सौरभ भारद्वाज के आदेश के मद्देनजर दिल्ली के मुख्य सचिव ने सिविल सर्विस बोर्ड की अहम बैठक बुलाई है. बैठक मंगलवार को होगी.

कहा जा रहा है कि कोर्ट के फैसले के बाद जिस तरह दिल्ली सरकार के मंत्री सौरभ भारद्वाज और आतिशी अधिकारियों की कार्यप्रणाली को लेकर आदेश जारी कर रहे हैं, इससे नौकरशाह में दुविधा की स्थिति उत्पन्न हो गई है. इसे देखते हुए मुख्य सचिव नरेश कुमार ने अहम बैठक बुलाई है. इसमें कोर्ट के आदेश पर चर्चा होगी तथा सेवा विभाग के सचिव आशीष मोरे के तबादले और कारण बताओ नोटिस पर चर्चा होगी.

सरकार ने भेजा नोटिसः सोमवार को दिल्ली सरकार ने सेवा विभाग के सचिव आशीष मोरे को कारण बताओ नोटिस भेजकर उनसे अवैध तरीके से पद पर बने रहने के प्रयास करने के लिए जवाब तलब किया है. सुप्रीम कोर्ट के आदेश के तुरंत बाद दिल्ली सरकार ने मोरे को पद से रिलीव करने का आदेश जारी किया था. उसके बाद से वह दफ्तर नहीं आ रहे हैं और ना ही उन्होंने इसकी सूचना दी है.

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मंत्री सौरभ भारद्वाज का आरोप है कि उनका फोन स्विच ऑफ है. यह दुर्भाग्यपूर्ण है. इसके अलावा एक अन्य अधिकारी के खिलाफ भारद्वाज ने विजिलेंस जांच के आदेश दिया है. मालूम हो कि 11 मई को सुप्रीम कोर्ट ने अपने फैसले में कहा था कि दिल्ली सरकार सेवा विभाग के तहत अधिकारियों की पोस्टिंग और ट्रांसफर से संबंधित फैसले लेने के लिए स्वतंत्र है. उसके फैसले में उपराज्यपाल दखल नहीं देंगे. कोर्ट के इस फैसले के तुरंत बाद सेवा विभाग के सचिव के तबादले का आदेश सरकार ने जारी कर दिया था.

LG की नहीं मिली मंजूरीः हालांकि, दिल्ली सरकार द्वारा सेवा विभाग के सचिव के तबादले को उपराज्यपाल के यहां से मंजूरी नहीं मिली. सूत्रों के अनुसार, उपराज्यपाल कार्यालय का कहना है कि सुप्रीम कोर्ट के आदेश की अब तक विस्तृत जानकारी नहीं आई है. इसलिए इसे मंजूरी नहीं दी जा सकती है. जिस पर ऐतराज जताते हुए दिल्ली सरकार ने दोबारा सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया और मामला अब कोर्ट में विचाराधीन है.

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