नई दिल्लीः 22 मार्च से चैत्र नवरात्रि की शुरुआत हो गई है. चैत्र नवरात्रि के नौ दिनों में मां दुर्गा के नौ रूपों की पूजा की जाती है. चैत्र नवरात्रि के छठे दिन मां कात्यायनी को समर्पित है. सोमवार 27 मार्च को चैत्र नवरात्री का छठा दिन है. ऋषि कात्यायन की पुत्री होने कारण मां को कात्यायनी कहा जाता है. मां कात्यायनी ब्रजमंडल की अधिष्ठात्री देवी हैं.
मां कात्यायनी की आराधना करने से शादी विवाह में आ रही बाधाएं समाप्त होती हैं. सकारात्मक ऊर्जा की प्राप्ति होती है. शत्रुओं का भय समाप्त होता है. मान्यता है कि मां कात्यायनी की पूजा करने से मां प्रसन्न होती हैं. विशेषकर लड़कियों को पूजा करने से योग्य वर की प्राप्ति होती है.
० पूजा विधि: नवरात्रि के छठे दिन सुबह जल्दी उठे और स्नान के बाद साफ-सुथरे कपड़े पहने. पूजा के स्थान को साफ करें और गंगाजल डालकर शुद्ध करें. चौकी पर मां कात्यायनी की प्रतिमा स्थापित करें. पूजा के स्थान को सजाएं. फिर मां कात्यायनी के व्रत का संकल्प लें और ध्यान करें. मां कात्यायनी को प्रसन्न करने के लिए गुड़हल या लाल रंग का फूल चढ़ाएं. पूजा में लाल रंग के कपड़े पहनें. लाल रंग के कपड़े पहनकर मां कात्यायनी की पूजा करना काफी शुभ माना गया है. मां को शहद का भोग लगाएं क्योंकि मां को शहद अति प्रिय है.
० मां का स्वरूप:मां कात्यायनी की चार भुजाएं हैं. मां कात्यायनी सिंह पर सवारी करती हैं. मां कात्यायनी का स्वरूप चमकीला और तेजमयी है. दाईं तरफ का ऊपर वाला हाथ अभय मुद्रा में जबकि नीचे वाला हाथ वर मुद्रा में रहता है. मां कात्यायनी के बाई तरफ उपर वाले हाथ में तलवार धारण किए हुए हैं, जबकि नीचे वाले हाथ में कमल का फूल है.