नई दिल्ली : दिवाली के बाद अब छठ पूजा की तैयारी (Preparation for Chhath Puja) शुरू हो गई है. ताकि इस दौरान इस साल यमुना में झाग (Foam in Yamuna) के बीच श्रद्धालुओं को डुबकी नहीं लगानी पड़े, इसलिए केंद्र सरकार ने समय रहते तैयारी शुरू कर दी है. दिल्ली की सीमा में ओखला बैराज के निचले प्रवाह क्षेत्र में झाग को कम करने और औद्योगिक एवं अन्य प्रदूषण पर निगरानी के लिए संयुक्त समिति ने काम शुरू कर दिया है. समिति केंद्रीय जल शक्ति मंत्रालय के आदेश पर काम कर रही है.
जानकारी के अनुसार, संयुक्त समिति में राष्ट्रीय स्वच्छ गंगा मिशन, यमुना रिवर बोर्ड, उत्तर प्रदेश सिंचाई विभाग, दिल्ली जल बोर्ड, दिल्ली प्रदूषण नियंत्रण समिति और बाढ़ नियंत्रण विभाग के अधिकारी शामिल हैं. समिति छठ पूजा के दौरान यमुना में क्षेत्र में झाग (foam in yamuna) को कम करने के लिए प्रयास और निगरानी करेगी.
यमुना में झाग हटाने वाले रसायन का छिड़काव भी होगा, ताकि झाग हटाया जा सके. 26 अक्टूबर से छठ पूजा तक नावों के जरिए झाग कम करने की दिशा में काम शुरू होगा. इसके अलावा झाग के बनने पर उसे नियंत्रित करने के कदम भी उठाए जाएंगे. यह कार्रवाई 30 अक्टूबर तक होगी.
कोरोना महामारी के बाद इस वर्ष यमुना के छठ पूजा घाटों पर पूजा की अनुमति मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल (Delhi CM Arvind Kejriwal) ने पहले ही दे दी हैं. इस बार कृत्रिम तालाबों की जगह यमुना घाटों पर खुलकर श्रद्धालु छठ पूजा मना सकते हैं. यमुना के 1100 घाटों पर छठ पूजा का भव्य आयोजन किया जा रहा है. यमुना के कुछ हिस्सों जैसे आईटीओ, सोनिया विहार और ओखला बैराज के पास सर्दियों में झाग समस्या हो जाती है. अभी तक यमुना में झाग की स्थिति नियंत्रण में है.
अधिकारियों के अनुसार झाग के बनने का कारण पानी में केमिकल की मौजूदगी व रंगाई उद्योग, धोबी घाट और घरों में इस्तेमाल होने वाले डिटर्जेंट के पानी मुख्य स्रोत होते हैं. यह फास्फेट नालों से होकर यमुना में पहुंच जाता है ऐसे में जब ओखला बैराज में पानी ऊंचाई से गिरता है तो वहां झाग की मोटी परत बन जाती है.
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यमुना में फॉस्फेट का स्तर काफी ज्यादा हो गया है और इस वजह से काफी ज्यादा झाग हो गए हैं. वैसे नदियों के पानी में फॉस्फेट की मात्रा भी होती है और पानी में ऑक्सीजन आदि की मात्रा कंट्रोल रखते हैं. मगर यमुना में इसका मात्रा काफी ज्यादा है, इस वजह से यह काफी नुकसानदायक भी है. दिल्ली प्रदूषण नियंत्रण समिति की रिपोर्ट में सामने आया है कि यमुना में फॉस्फेट की मात्रा 6.9 मिलीग्राम प्रति लीटर से लेकर 13.42 मिलीग्राम प्रति लीटर तक है. ये काफी ज्यादा है.
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