नई दिल्ली: देश में FDI पॉलिसी को लेकर व्यापारी संगठन कैट ने केंद्रीय वाणिज्य मंत्री पीयूष गोयल को पत्र लिखा है. जिसमें उन्होंने सरकार द्वारा द्वारा ई कॉमर्स के मुद्दे पर स्पष्ट एवं सख्त रूख अपनाने की सराहना की. साथ ही देश के व्यापारियों को ई कॉमर्स कंपनियों अमेजन एवं फ्लिपकार्ट से बचाने के लिए की एफडीआई नीति, 2018 के प्रेस नोट नंबर 2 की जगह एक नया प्रेस नोट तुरंत जारी करने का आग्रह किया है.
कैट ने लिखा पीयूष गोयल को लिखा पत्र 2 साल से है नई प्रेस नोट का इंतजार
कैट ने कहा है की अमेज़न और फ्लिपकार्ट ने सरकार की चेतावनी के बावजूद भी नियम एवं नीति का लागतगार उल्लंघन किया जा रहा है. कैट के एतराज के बाद लगभग दो साल से एक नए प्रेस नोट की कवायद चल रही हैं. लेकिन इतना लम्बा समय बीत जाने के बाद भी प्रेस नोट का अभी तक जारी नहीं हुआ है, जो बेहद चिंता का विषय है.
इसमें प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी के "न्यूनतम सरकार और अधिकतम शासन" के दृष्टिकोण को सरकारी अधिकारियों द्वारा पूरी तरह से अनदेखा किया गया है.
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'नियमों का खुलेआम उल्लंघन फिर भी कार्रवाई नहीं'
कैट के राष्ट्रीय महामंत्री प्रवीन खंडेलवाल ने पत्र में कहा है कि सरकार कई सार्वजनिक प्लेटफार्मों पर घोषणा कर चुकी है कि नीति और कानून का उल्लंघन करने की अनुमति किसी को नही दी जाएगी, लेकिन फिर भी ई-कॉमर्स कंपनियां पिछले तीन सालों से FDI नीति और कानून की खुलेआम धज्जियां उड़ा रही हैं और किसी भी सरकारी विभाग ने उनके खिलाफ कोई कार्रवाई ही नहीं की है.
कैट ने लिखा पीयूष गोयल को लिखा पत्र ऐसा लगता है कि सरकार की नए प्रेस नोट जारी करने की मंशा और ई-कॉमर्स नीति को लागू किया जाने की सोच को सरकारी प्रशासन प्रेस नोट न लाकर दबाने की कोशिश कर रहा है.
'व्यापारियों को ई-कॉमर्स संस्थाओं के हमले सहने के लिए छोड़ा'
अमेजन और फ्लिपकार्ट द्वारा इक्विटी नियंत्रण या आर्थिक भागीदारी के माध्यम से अपनी खुद की कंपनियों का एक जटिल मकड़जाल है. जहां पर ये कंपनियां बेहद सुविधापूर्वक पूंजी डंपिंग करती हैं. ये कंपनियां अपने 'कुछ पसंदीदा विक्रेताओं' के द्वारा लागत से भी कम मूल्य पर माल बेचना, बड़े डिस्काउंट देना, इन्वेंट्री को नियंत्रित करना और ई-कॉमर्स को असमान स्तर के खेल के मैदान मे तब्दील करना.
सब दिन के उजाले में किया जा रहा है, जिसे अनेको बार कैट ने सरकार के ध्यान में लाया है. लेकिन तीन सालों से अधिक समय बीतने के बाद भी कुछ भी नहीं हुआ है. देश के व्यापारियों को बेरहमी से ई-कॉमर्स संस्थाओं के गंभीर हमले को सहन करने के लिए छोड़ दिया गया है.