नई दिल्ली :मोहल्ला क्लीनिक का बजट रोके जाने और डॉक्टरों की सैलरी न मिलने को लेकर विधानसभा में बुलाई गई विशेष बैठक में आप विधायक सौरभ भारद्वाज ने अधिकारियों को विशेष निर्देश देने के साथ मीडिया के सामने आकर पूरे मामले के लिए फाइनेंस विभाग के अधिकारी आशीष चंद्र वर्मा को जिम्मेदार ठहराया. उन्होंने कहा कि वर्मा ने जानबूझकर स्वास्थ्य विभाग से ऐसे डाक्यूमेंट्स मांगे (deliberately stopped works )जिससे कि वेतन और बजट जारी करने में देरी की जा सके. दिल्ली सरकार मामले को लेकर एलजी से शिकायत कर ऐसे अधिकारियों का तबादला करने को कहेगी.
तीन माह से नहीं हो पा रहा कोई टेस्ट : दिल्ली सरकार के अंतर्गत आने वाले मोहल्ला क्लीनिक का बजट रोके जाने के चलते पिछले 3 महीने से न तो इन मोहल्ला क्लीनिक के अंदर किसी प्रकार का कोई टेस्ट हो पा रहा है और न ही पर्याप्त मात्रा में दवाइयां उपलब्ध हो पा रही थी. जिससे मरीजों को परेशानियों का सामना करना पड़ रहा था. साथ ही मोहल्ला क्लिनिक में काम करने वाले मेडिकल स्टाफ और डॉक्टर को भी सैलरी नहीं मिल रही थी. मंगलवार को आप प्रवक्ता और विधायक सौरभ भारद्वाज की ओर से दिल्ली विधानसभा के अंदर विशेष बैठक बुलाई गई. जिसमें स्वास्थ्य और फाइनेंशिल कमेटी के सभी अधिकारी मौजूद थे. बैठक के अंदर बजट रोके जाने और सैलरी रोके जाने की कारणों की समीक्षा की गई बल्कि सौरभ भारद्वाज के द्वारा अधिकारियों को निर्देश भी दिए गए ताकि आगे से इस प्रकार की स्थिति उत्पन्न न हो.
कभी नहीं मांगे गए थे ऐसे डॉक्यूमेंट्स :बैठक के बाद सौरभ भारद्वाज ने मीडिया को बताया कि मोहल्ला क्लीनिक के प्रोजेक्ट कोऑर्डिनेटर को बुलाया गया था. जिसकी गवाही के बाद आज एक चीज सामने आई है कि वेतन देने के लिए स्वास्थ्य विभाग की ओर से जो फाइल फाइनेंस से विभाग को भेजी गई थी उस पर फाइनेंस विभाग ने कुछ ऐसे डॉक्यूमेंट्स की मांग की गई जिससे कि मामले को लटका कर देर की जा सके. ये डॉक्यूमेंट ऐसे थे जो आज से पहले कभी भी नहीं मांगे गए थे. इन्हें सिर्फ इसलिए मांगा गया ताकि वेतन जारी करने में देरी की जा सके.
वित्त विभाग के अधिकारी आशीष चंद्र वर्मा पर आरोप :सौरभ भारद्वाज ने फाइनेंस विभाग के अधिकारी आशीष चंद्र वर्मा पर आरोप लगाते हुए कहा कि उनके द्वारा जानबूझकर वेतन जारी करने में देरी की जाने के लिए इस तरह के डॉक्यूमेंट मांग कर कर्मियों की तनख्वाह को रोका गया, जबकि खुद हेल्थ डिपार्टमेंट के पास अपना 70 करोड़ का फंड मौजूद था. इसके बावजूद कर्मचारियों को सैलरी नहीं दी गई, क्योंकि फाइनेंस विभाग के अधिकारी आशीष चंद्र वर्मा ने इस पैसे से वेतन जारी करने पर भी रोक लगाई थी. मोहल्ला क्लीनिक के विजिट पर अधिकारी आज तक नहीं गए जो हैरानी की बात है. अब उन्हें हर रोज 3 मोहल्ला क्लीनिक का विजिट कर कमियों को दूर करने के निर्देश दिए गए हैं. यह बेहद दुर्भाग्यपूर्ण है कि फाइलों को इधर से उधर घुमाने के खेलकर वेतन रोका गया है.
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