नई दिल्ली: राजधानी में बढ़ते प्रदूषण की रोकथाम के लिए वायु गुणवत्ता प्रबंधन आयोग (सीएक्यूएम) ने आदेश जारी किया है कि एक नवंबर से बीएस-3 और बीएस-4 डीजल बसों को दिल्ली में प्रवेश नहीं मिलेगा. केवल सीएनजी, इलेक्ट्रिक और डीजल की बीएस-6 बसों के संचालन की ही अनुमति होगी. यह नियम निजी बसों पर भी लागू होगा. इस नियम के लागू होने से 60 प्रतिशत से अधिक बसों का संचालन बंद हो जाएगा, जिसका सीधा असर यात्रियों पर पड़ेगा.
दिल्ली आती हैं पांच हजार बसें:दिल्ली के आनंद विहार, सराय काले खां, कश्मीरी गेट व अन्य बस अड्डों पर उत्तर प्रदेश, उत्तराखंड, हरियाणा, राजस्थान, पंजाब, हिमाचल प्रदेश समेत अन्य कई राज्यों से 5000 से अधिक बसें आती हैं. इसमें यूपीएसआरटीसी की करीब एक हजार और उत्तराखंड परिवहन विभाग की 300 से अधिक बसें दिल्ली आती हैं. परिवहन विभाग के अधिकारियों के मुताबिक विभिन्न राज्यों से दिल्ली आने वाली करीब 60 फीसदी बसें बीएस-3 और बीएस-4 की हैं. इसके अतिरिक्त विभिन्न टूर एंड ट्रेवेल्स की एक हजार से अधिक बसें दिल्ली से चलती हैं.
अगले कुछ सालों की भी रूपरेखा तैयार:सीएक्यूएम ने उत्तर प्रदेश व राजस्थान के गैर एनसीआर क्षेत्रों से एनसीआर के शहरों और दिल्ली में प्रवेश करने वाली पुरानी डीजल बसों को हटाने का समय भी तय कर दिया है. अगले वर्ष जुलाई से पूरे एनसीआर में इलेक्ट्रिक और सीएनजी के अलावा केवल बीएस-6 बसों का ही संचालन होगा. इससे प्रदूषण काफी कम होगा. सीएक्यूएम ने अंतरिम व्यवस्था के तहत सीएनजी, इलेक्ट्रिक और बीएस-6 डीजल बसों के परिचालन की अनुमति दी है. अगले तीन साल में एनसीआर के शहरों से सिर्फ सीएनजी और इलेक्ट्रिक बसें ही चलेंगी. उधर, उत्तर प्रदेश सहित अन्य राज्यों में बीएस-6 बसें खरीदी जा रही हैं.