नई दिल्ली:वायु गुणवत्ता प्रबंधन आयोग (सीएक्यूएम) के आदेश के अनुसार, दिल्ली में बुधवार से डीजल की बीएस-3 व बीएस-4 बसों को प्रवेश नहीं दिया जाएगा. उत्तर प्रदेश, हरियाणा, राजस्थान एवं अन्य राज्यों की करीब 4,500 से अधिक बसें दिल्ली में आती हैं, जिनमें ज्यादातर बसें बीएस-3 व बीएस-4 की है, जिनसे काफी प्रदूषण होता है. वर्तमान में दिल्ली में सिर्फ सीएनजी और इलेक्ट्रिक बसें संचालित की जा रही हैं.
इससे पहले बीते रविवार को दिल्ली के पर्यावरण मंत्री गोपाल राय ने दिल्ली के कश्मीरी गेट बस अड्डे का निरीक्षण किया था. इसमें उत्तर प्रदेश और हरियाणा कश्मीरी गेट बस अड्डे पर पहुंची कई बसें बीएस-3 व बीएस-4 की पाई गई थी. इसपर उन्होंने सभी बसों को नोटिस जारी कर एक नवंबर से दिल्ली में प्रवेश न करने को कहा था. साथ ही उन्होंने यह भी कहा था कि एक नवंबर से गुणवत्ता प्रबंधन आयोग के निर्देशों का सख्ती से पालन कराया जाएगा और इन बसों को प्रवेश नहीं दिया जाएगा. उन्होंने दिल्ली एनसीआर में सभी सरकारों से केवल सीएनजी और इलेक्ट्रिक बसें चलाने की ही अपील भी की थी.
वाहनों की धुएं से बढ़ा है प्रदूषण: पर्यावरण मंत्री गोपाल राय का दावा है कि दिल्ली में धूल से होने वाला प्रदूषण कम हुआ है और धुएं से होने वाला प्रदूषण बढ़ा है. ऐसे में प्रदूषण की रोकथाम के लिए दिल्ली सरकार की ओर से 'रेड लाइट ऑन गाड़ी ऑफ अभियान' भी चलाया जा रहा है. इतना ही नहीं दिल्ली सरकार के मंत्रियों का दावा है कि दिल्ली में होने वाले कुल प्रदूषण में 70 प्रतिशत हिस्सेदारी बाहर के राज्यों के प्रदूषण की है. मंत्री गोपाल राय गोपाल राय का कहना है कि हरियाणा, पंजाब, राजस्थान और उत्तर प्रदेश सरकार से दिल्ली आने वाली बसों को जब तक सीएनजी या इलेक्ट्रिक में नहीं कन्वर्ट किया जाता, तब तक दिल्ली प्रदूषण की मार झेलता रहेगा.