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दिल्ली विधानसभा में कौन होगा नेता विपक्ष ? बीजेपी में मंथन जारी - दिल्ली विधानसभा नेता प्रतिपक्ष

दिल्ली विधानसभा में पार्टी का नेता तय करने को लेकर बीजेपी में मंथन जारी है. राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा ने इसके लिए पार्टी के सांसद सरोज पांडे को केंद्रीय पर्यवेक्षक नियुक्त किया है.

BJP is in talks to decide the leader of the party
पार्टी का नेता तय करने को लेकर बीजेपी में मंथन जारी

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Published : Feb 19, 2020, 10:02 AM IST

नई दिल्ली: बीजेपी में दिल्ली विधानसभा में दल का नेता चुनने की कवायद तेज हो गई है. पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा ने इसके लिए पार्टी के सांसद सरोज पांडे को केंद्रीय पर्यवेक्षक नियुक्त किया है. राष्ट्रीय पर्यवेक्षक सरोज पांडे जल्द ही पार्टी के नवनिर्वाचित विधायकों के साथ बैठक कर मशवरा करेंगी.

पार्टी का नेता तय करने को लेकर बीजेपी में मंथन जारी

खास बात यह है कि 2015 के विधानसभा चुनाव में पार्टी के कुल 3 विधायक चुने गए थे. रोहिणी से विधायक विजेंद्र गुप्ता को पार्टी का नेता बनाया गया था. हालांकि इस विधानसभा में बीजेपी के कुल 8 विधायक हैं. इसमें बदरपुर विधानसभा से चुने गए रामवीर सिंह बिधूड़ी एवं करावल नगर विधानसभा से चुने गए मोहन सिंह बिष्ट पार्टी में काफी वरिष्ठ विधायक शामिल हैं.

भाजपा की प्रेस विज्ञप्ति



ये हैं बीजेपी के आठ विधायक
दिल्ली विधानसभा में इस बार बीजेपी से रामवीर सिंह बिधूड़ी, मोहन सिंह बिष्ट, विजेंद्र गुप्ता, ओपी शर्मा, अभय वर्मा, अनिल वाजपेयी, अजय महावर एवं जितेंद्र महाजन चुनाव जीतकर पहुंचे हैं.



वरिष्ठता को वरीयता
विधानसभा में बीजेपी विधायकों की संख्या आठ होने से पार्टी का पलड़ा थोड़ा भारी रहने की उम्मीद है. ऐसे में पार्टी के सामने एक चुनौती होगी कि विधानसभा में दल के नेता की जिम्मेदारी वरिष्ठ होने के साथ-साथ अनुभवी विधायक को दी जाए.



विजेंद्र गुप्ता ने निभाई थी मजबूती से भूमिका
हालांकि पिछली विधानसभा में विजेंद्र गुप्ता ने काफी अनुभव का परिचय देते हुए मजबूती से अपनी भूमिका निभाई थी. यह बात अलग है कि सरकार उनके दबाव में कभी नहीं आई और विरोध करने पर हर बार उन्हें विधानसभा से बाहर का रास्ता दिखा दिया गया. नेता विपक्ष के प्रति इस रवैया को लेकर तत्कालीन विधानसभा अध्यक्ष पर दुराभाव का आरोप लगाया था.



जानकारों की मानें तो बीजेपी इस बार किसी अनुभवी विधायक को ही पार्टी का नेता बनाएगी. जिससे पार्टी अपने अनुभव के आधार पर सरकार पर दबाव बना सके. 70 सदस्यों वाली विधानसभा में सत्ता पक्ष के पास 65 विधायक हैं.

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