बीजेपी के वरिष्ठ नेता मनजिंदर सिंह सिरसा नई दिल्ली: दिल्ली और पंजाब की सत्ता में काबिज आम आदमी पार्टी राष्ट्रीय पार्टी बनने के बाद जिस दमखम से राजस्थान, मध्यप्रदेश और छत्तीसगढ़ में विधानसभा चुनाव लड़ने को उतरी थी, नतीज़े आशानुरूप नहीं आए. इस राज्यों में आम आदमी पार्टी दूसरी बार चुनाव लड़ने के लिए मैदान में उतरी थी, चुनाव प्रचार के लिए दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल और पंजाब के मुख्यमंत्री भगवंत मान स्वयं मैदान में उतरे थे, लेकिन चुनाव नतीजों के अनुसार तीनों ही राज्यों में आम आदमी पार्टी के सभी प्रत्याशियों की जमानत जब्त हो गयी.
आम आदमी पार्टी ने राजस्थान, मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़ विधानसभा चुनाव के लिए कुल 520 सीटों में से 205 पर अपने प्रत्याशी उतारे थे. रविवार को आए चुनाव नतीजे में आम आदमी पार्टी के सभी उम्मीदवारों की जमानतें जब्त हो गई. इतना ही नहीं मिजोरम विधानसभा चुनाव में भी पार्टी ने चार सीटों पर अपने प्रत्याशियों को उतारा था. वहां के नेताओं ने दिल्ली जाकर मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल से मुलाकात भी की थी. सोमवार को आए चुनाव नतीजे में आम आदमी पार्टी को वहां भी नोटा से कम वोट मिला है.
विपक्षी दलों में पहली पार्टी बनी AAP हालांकि चुनाव नतीजे आने के बाद आम आदमी पार्टी के मीडिया सलाहकार और प्रवक्ता जैस्मिन शाह का कहना है कि उक्त राज्यों के विधानसभा चुनाव नतीजे आने के बाद आम आदमी पार्टी का कद बढ़ा है. आम आदमी पार्टी विपक्षी दलों की शामिल पहले पार्टी बन गई है, जिसके उत्तर भारत में दो राज्यों में सरकार है. उन दो राज्यों के रूप में उन्होंने पंजाब और दिल्ली का जिक्र किया है. साथ ही आम आदमी पार्टी ने बीजेपी को तीन राज्यों में मिली जीत के लिए बधाई भी दी है.
आम आदमी पार्टी के संस्थापक सदस्यों में शामिल रहे व वरिष्ठ पत्रकार आशुतोष ने विधानसभा चुनाव में आम आदमी पार्टी की करारी हार को लेकर कहा कि पार्टी ने राजस्थान, छत्तीसगढ़, मध्य प्रदेश में 211 सीटों पर प्रत्याशी उतारे थे. सभी सीटों पर उनकी हार हुई है. मध्य प्रदेश में 70 सीट पर प्रत्याशियों को मिले कुल वोट 0.54 फीसद रहा है. यह नोटा से मिले वोट से कम है. वहीं, राजस्थान में आम आदमी पार्टी के 87 प्रत्याशी मैदान में थे जिन्हें कुल वोट 0.38 प्रतिशत वोट मिला. छत्तीसगढ़ में आम आदमी पार्टी ने 54 सीटों पर चुनाव लड़ा था और वहां पार्टी को कुल 0.93 फीसद वोट मिला है. इसी से आम आदमी पार्टी के वजूद का पता लगाया जा सकता है.
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उक्त तीनों राज्यों में चुनाव लड़ने का महीनों पहले आम आदमी पार्टी ने फैसला लिया था. इतना ही नहीं पार्टी के संयोजक अरविंद केजरीवाल, पंजाब के मुख्यमंत्री भगवंत मान तकरीबन प्रत्येक शनिवार-रविवार को वहां पर जाकर जनसभाएं, रोड शो आदि करते थे. वैसे तो दिल्ली और पंजाब में सरकार बनाने के बाद आम आदमी पार्टी देश की उत्तरी राज्यों में विधानसभा चुनाव को बेहतर तरीके से लड़कर अपना जनाधार बढ़ाने की कोशिश कर रही थी, दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने दिल्ली और पंजाब की तरह इन राज्यों में भी मुफ्त बिजली- पानी, शिक्षा देने का वादा किया, कई रैलियां और रोड शो की. लेकिन जो नतीजे आए हैं इस पर पार्टी को जरूर विचार करना चाहिए.
वहीं बीजेपी के वरिष्ठ नेता मनजिंदर सिंह सिरसा ने इस पर प्रतिक्रिया देते हुए कहा कि अब आम आदमी पार्टी के नेता कह रहे हैं कि नॉर्थ इंडिया के अंदर हम लीडर है, कांग्रेस क्या रही है कि हम साउथ के लीडर हैं. यह देश के लोगों को बांटने पर क्यों तुली हुई है. आम आदमी पार्टी पूरी तरह एक्सपोज हो गयी है. इसे वह स्वीकार कर लें.
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