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दिल्ली हिंसा: हेड कॉन्स्टेबल रतनलाल की हत्यारोपी महिला की जमानत याचिका खारिज

कड़कड़डूमा कोर्ट ने दिल्ली हिंसा के दौरान हेड कांस्टेबल रतन लाल की हत्या के मामले की महिला आरोपी की जमानत याचिका खारिज कर दी है.

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Published : Jan 8, 2021, 10:01 PM IST

accused of delhi violence killing ratanlal not allowed to attend father funeral
कड़कड़डूमा कोर्ट

नई दिल्ली: दिल्ली की कड़कड़डूमा कोर्ट ने दिल्ली हिंसा के दौरान हेड कांस्टेबल रतन लाल की हत्या के मामले की महिला आरोपी की जमानत याचिका खारिज कर दी है. एडिशनल सेशंस जज विनोद यादव ने कहा कि आरोपी तबस्सुम के खिलाफ काफी गंभीर आरोप हैं और उसके कॉल डिटेल रिकॉर्ड से पता चलता है कि वह इस मामले के दूसरे सह-आरोपियों के लगातार संपर्क में थी.

हिंसा के लिए गहरी साजिश रची गई

कोर्ट ने कहा कि यह साफ है कि विरोध प्रदर्शन के आयोजक और भीड़ में शामिल लोगों का निहित स्वार्थ था. भीड़ में ऐसे लोग साफ-साफ दिखाई दे रहे हैं, जिनके हाथों में दंगे को उकसाने से संबंधित सभी चीजें जैसे पत्थर, डंडे और धारदार हथियार थे. यहां तक कि बुर्का पहनी महिलाओं ने पुलिस बल पर डंडों और दूसरी चीजों से हमला किया और वे काफी उत्तेजित थीं. भीड़ के कुछ लोग 25 फुटा रोड के किनारे के मकानों की छतों पर मौजूद थे. उनके हाथों में आग्नेयास्त्र और दूसरे हथियार थे. कोर्ट ने कहा कि प्रथम दृष्टया ये साफ है, इसके लिए गहरी साजिश रची गई. भीड़ का एक उद्देश्य था कि अगर वजीराबाद मेन रोड को पुलिस की ओर से जाम करने से रोका गया तो, उनसे बलपूर्वक निपटा जाए.


भीड़ को उकसाने का आरोप

तबस्सुम की जमानत याचिका का विरोध करते हुए दिल्ली पुलिस ने कहा कि तबस्सुम दूसरे प्रदर्शनकारियों के साथ स्टेज पर थी और उपस्थित भीड़ को उकसा रही थी. इसकी वजह से 24 फरवरी 2020 को हिंसा हुई और हेड कांस्टेबल रतनलाल समेत उत्तर-पूर्वी दिल्ली में 50 से ज्यादा लोगों की मौत हुई. इस घटना में शाहदरा के डीसीपी अमित शर्मा, गोकलपुरी के एसीपी अनुज कुमार और 51 दूसरे पुलिसकर्मियों को गंभीर रूप से चोटें आई थीं.


किसी कानून के खिलाफ प्रदर्शन करना वैधानिक अधिकार

सुनवाई के दौरान तबस्सुम की ओर से पेश वकील ने कहा कि भले ही वह प्रदर्शन में शामिल हुई थी, लेकिन किसी कानून के खिलाफ प्रदर्शन करना वैधानिक अधिकार है. इस प्रदर्शन में शामिल होने का मतलब ये नहीं है कि वो किसी साजिश का हिस्सा थी. प्रदर्शन में शामिल होने का उसक अधिकार उससे छीना नहीं जा सकता है. उसने कहा कि नागरिकता संशोधन कानून एक खास धर्म के खिलाफ है. तबस्सुम की ओर से कहा गया कि जांच एजेंसी उसके किसी भी भाषण का वैसा अंश नहीं बता पाया जो भड़काऊ हो.

अपराध से कोई लेना-देना नहीं है

तबस्सुम की ओर से कहा गया कि वह 38 साल की महिला है. वह चांद बाग में स्थायी रूप से रहती है. उसके दो नाबालिग बच्चे हैं जो स्कूल जाते हैं. उसने कहा कि उसे झूठे तरीके से फंसाया गया. वह घटनास्थल पर मौजूद नहीं थी और उसका किसी अपराध से कोई लेना-देना नहीं है. बता दें कि उत्तर-पूर्वी दिल्ली में हुए दंगों में 53 लोग मारे गए थे और करीब 200 लोग घायल हो गए थे.

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