नई दिल्ली: इंदिरा गांधी राष्ट्रीय कला केंद्र में संपूर्ण बाम्बू केंद्र के सहयोग से 'बा, बापू एवं शिल्प कला' का आयोजन किया गया. पांच दिनों तक चलने वाले इस उत्सव में देशभर के हस्तशिल्प कारीगर अपने हुनर का प्रदर्शन कर रहे हैं.
पांच दिवसीय इस शिल्प कला का उद्घाटन 22 फरवरी को हुआ. इस प्रदर्शनी में हुनर खोज यात्रा में चयनित कौशल उद्यमियों को हुनर के प्रदर्शन का मौका दिया गया है.
इसमें लगभग 80 हुनर हाट में करीब साढ़े चार सौ शिल्प कलाकार अपनी कारीगरी और शिल्प कला का प्रदर्शन कर रहे हैं. इसमें असम, उत्तराखंड, महाराष्ट्र और गुजरात से आए लोक कलाकार अपनी लोक कलाओं का भी प्रदर्शन कर रहे हैं.
ग्रामीण भारत में लोहे के बर्तनों में खाना बनाने की परम्परा रही है. राजस्थान से आईं कुछ महिलाएं अपनी इसी परम्परा से जुड़े हुनर का प्रदर्शन इस शिल्प कला में करती दिखीं.
'बा, बापू और शिल्प कला' की धूम गौरतलब है कि इसका आयोजन सम्पूर्ण बाम्बू केंद्र की तरफ से किया गया है, इसलिए इसमें बांस से जुड़ी कलाकृतियों की अधिकता है. ग्रामीण भारत की खास जरूरत रही डलिया बनाती मध्य प्रदेश की महिलाएं भी यहां दिख जाएंगी.
इस आयोजन के बारे में ईटीवी भारत से बातचीत में सम्पूर्ण बाम्बू केंद्र के अध्यक्ष महेश चंद्र शर्मा ने शिल्प कला को महात्मा गांधी और कस्तूरबा गांधी से जोड़कर इस पर प्रकाश डाला. वहीं, इसके आयोजन समिति से जुड़े लोगों ने भी इसके बारे में जानकारी दी.