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Delhi के 'मिनी बंगाल' में कोलकाता से आए कलाकार गढ़ रहे मां दुर्गा की प्रतिमाएं, ईको फ्रेंडली रंगों का हो रहा इस्तेमाल - चितरंजन पार्क में स्थित कालीबाड़ी मंदिर

Artists from Kolkata are making idols of Maa Durga: दिल्ली के चितरंजन पार्क स्थित कालीबाड़ी मंदिर में बंगाली कलाकारों द्वारा इन दिनों मां दुर्गा की प्रतिमाएं तैयार की जा रही हैं. इसे बनाने के लिए कई ऐसी चीजों का खयाल रखा जा रहा है, जो इन्हें खास बना रही हैं. आइए जानते हैं इन प्रतिमाओं की खासगी के बारे में...

Artists from Kolkata are making idols of Maa Durga
Artists from Kolkata are making idols of Maa Durga

By ETV Bharat Delhi Team

Published : Oct 9, 2023, 9:05 PM IST

कालीबाड़ी में कारीगर बना रहे मां मां दुर्गा की प्रतिमाएं

नई दिल्ली:शारदीयनवरात्रि को शुरू होने में अब कुछ ही दिन बचे हैं. इसे लेकर पूरे भारत में पंडाल व मूर्तियां जोरों-शोरों से तैयार की जा रही हैं. इसी क्रम में दिल्ली के सीआर पार्क स्थित कालीबाड़ी में भी मूर्तिकार व उनके सहयोगी, मां दुर्गा व अन्य देवी-देवताओं की प्रतिमाएं बनाने में व्यस्त हैं. इस समय वे दिन-रात एक कर सुंदर मूर्तियां गढ़ रहे हैं, ताकि वे समय से पहले मूर्ति को पंडाल में स्थापित करने के लिए दे पाएं.

ईको फ्रेंडली कलर का इस्तेमाल: चितरंजन पार्क में स्थित कालीबाड़ी मंदिर में कलाकार करीब तीन महीने से मां दुर्गा की प्रतिमाएं तैयार करने में जुटे हुए हैं. इसके अलावा इंद्रलोक सिनेमा परिसर में भी करीब दर्जन भर कलाकार मूर्तियां बना रहे हैं. मूर्तिकार तपन विश्वास ने बताया कि वे बचपन से ही मूर्तियां बनाने का काम कर रहे हैं. वह दुर्गा पूजा के अलावा विश्वकर्मा पूजा और गणेश चतुर्थी के लिए भी प्रतिमाएं बनाते हैं. मूर्तियों को बनाने के लिए मिट्टी, पुआल और ईको फ्रेंडली कलर का इस्तेमाल किया जा रहा है, ताकि इन्हें विसर्जित करने पर प्रदूषण न हो. फिलहाल मूर्तियों को कलर किया जा रहा है, जिसके बाद आभूषणों से माता का श्रृंगार किया जाएगा.

करते हैं इमली का इस्तेमाल:उन्होंने बताया कि कलर को टिकाऊ बनाने के लिए इमली के बीज का चूर्ण बनाकर उसे पानी में उबाला जाता है. फिर उससे एक प्रकार की लेई बनाई जाती है, जिसमें कलर डालकर प्रभावशाली बनाया जाता है. यहां एक दर्जन से अधिक बड़ी मूर्तियों के साथ, दर्जनों छोटी बड़ी मूर्तियं बनाई जा रही हैं. उनके अलावा एक अन्य कलाकार चंदन देबनाथ ने बताया कि वे करीब 24 साल से प्रतिमाएं बनाने का काम कर रहे हैं. वह पश्चिम बंगाल के रहने वाले हैं और दिल्ली समेत अलग-अलग अन्य जगहों पर मूर्तियां बनाने के लिए जाते हैं. इस काम में उन्हें काफी आनंद आता है. मूर्तियों का श्रृंगार करना उनकी विशेषता है.

तैयार किए जा रहे मिट्टी के गहने:वहीं कलाकार गौतम राय ने बताया कि वह प्रतिमाओं के लिए मिट्टी से गहने बनाते हैं, जिसे वह कलर भी करते हैं. उन्होंने बताया कि सामान्यता वह हाथ से ही मिट्टी के गहने बनाते हैं, लेकिन इस समय वे डाइस (सांचे) के माध्यम से गहने बना रहे हैं, ताकि काम जल्दी पूरा किया जा सके. इस तरह वे एक दिन करीब 50 से अधिक गहने बना लेते हैं, जिसे पेंट करने में उन्हें एक और दिन का समय लगता है.

ईको फ्रेंडली हैं सभी मूर्तियां: कालीबाड़ी मंदिर दुर्गा पूजा समिति के जॉइंट सेक्रेटरी प्रदीप गांगुली ने बताया कि यहां पर बनाई जा रही सभी मूर्तियां इको फ्रेंडली हैं. उन्होंने बताया कि इस पंडाल में दुर्गा पूजा के दौरान रोजाना करीब एक लाख से अधिक श्रद्धालु आते हैं. इसे देखते हुए सभी इंतजाम किए जा रहे हैं, ताकि लोगों को किसी प्रकार की परेशानी न हो. उन्होंने यह भी कहा कि यहां हर साल मूर्तियां तैयार करने के लिएप बंगाल से ही कारीगर बुलाए जाते हैं. कालीबाड़ी में 14 समितियों द्वारा दुर्गा पूजा पंडाल बनाया जाता है. यहां बनी मूर्तियों में बंगाल की कला की झलक देखने को मिलती है.

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