नई दिल्ली: 'सैर कर दुनिया में गाफिल, जिंदगानी फिर कहां, जिंदगी गर कुछ रही तो, नौजवानी फिर कहां' ये शेर राहुल सांकृत्यायन का है, जिसको दिल्ली की दिपाली जैन ने कला का रूप देते हुए अपने जीवन में उतार लिया है. उन्होंने भारत के प्राचीन शहरों का भ्रमण किया और फिर उन्हें महसूस किया. साथ ही अलग-अलग जगह की संस्कृति और विरासत को करीब से जाना फिर बाखूबी कैनवास पर चित्र के रूप में उन्हें उतार दिया. दिल्ली के इंडिया हैबिटेट सेंटर के कन्वेंशन फोयर में 19 से 22 तीन दिनों की कला प्रदर्शनी लगी है, जिसे 'विरासत' नाम दिया गया है.
ऐतिहासिक शहरों को कला के रूप में किया प्रदर्शित:प्रदर्शनीकी क्यूरेटर और आर्टिस्ट दिपाली ने बताया कि विरासत, एक हिंदी शब्द है. विरासत, आपके जीवन के अनुभवों, विश्वास, मूल्यों और परंपराओं का एक ऐसा योग है, जो पीढ़ी दर पीढ़ी चला आ रहा है. आने वाली पीढ़ियां इसी के द्वारा आपको याद रखेंगी. लिहाजा, उन्होंने भारत के प्राचीन शहरों को पेंटिंग में उतारा है. प्रदर्शनी में बनारस, जोधपुर और जैसलमेर जैसे ऐतिहासिक शहरों को सुंदर कला के रूप में प्रदर्शित किया गया है.
रिहायशी इलाकों को चित्रों में उतारती हैं दीपाली:दिपाली ने बताया कि इनमें से ज्यादातर पेंटिंग 2020-2022 में बनाई गई हैं. भारतीय वास्तुकला के साथ उनका कला प्रवास 2015 में शुरू हुआ, जब उनके बेटे ने जोधपुर की यात्रा की और उसकी तस्वीरें दीपाली को भेजी. जिसके बाद उन्होंने देश घूमना शुरू किया और पुराने शहरों के रिहायशी इलाकों को चित्रों में उतरना शुरू कर दिया. प्रदर्शनी में विजिटर्स को सुंदर इमारतों का चित्रण देखने को मिलेगा. इन्हें देखकर ऐसा अनुभव होगा कि आप ऊंची ईमारत से नीचे बसे शहर को देख रहे हैं.