नई दिल्ली: चित्रकला का हुनर किसी वर्ग विशेष में नहीं उभरता, बल्कि ये किसी में भी आ जाता है. देश में ऐसे कई बच्चे हैं जो आर्थिक रूप से कमजोर होने के कारण चित्रकला सीखने के लिए स्कूलों की मोटी फीस नहीं दे पाते हैं. इसी कारण चित्रकारी में रूचि रखने वाले ऐसे बच्चे पीछे रह जाते हैं. ऐसे में दिल्ली के सिरी फोर्ट इंस्टीट्यूशनल एरिया में स्थित अकादमी ऑफ फाइन आर्टस एंड लिटरेचर और नानक साई गैर सरकारी संस्थान ने मिलकर ऐसे 30 बच्चों को चित्रकला के क्षेत्र में उभरने का मौका दिया, जो आर्थिक रूप से कमजोर परिवार से आते हैं. एक साल के लगातार प्रयासों के बाद इन सभी बच्चों द्वारा बनाई गई चित्रकला को प्रदर्शित किया गया हैं.
प्रदर्शनी की क्यूरेटर और नानक साई NGO की संचालिका अमृता कोचर ने बताया कि प्रदर्शनी में लगे सभी चित्र ड्राइवर्स, चपरासी और नर्सेज के बच्चों ने बनाए हैं. इन बच्चों के चित्र कलाकर बनने की रूचि को आर्टिस्ट ओमकार, अर्पणा कौर अकादमी ऑफ फाइन आर्टस एंड लिटरेचर और नानक साई NGO ने मिल कर उभारने की कोशिश की. अर्पणा कौर अकादमी ऑफ फाइन आर्टस एंड लिटरेचर ने बच्चों को आर्ट क्लास के लिए जगह दी. इसके अलावा आर्टिस्ट ओमकार ने बच्चों को चित्रकारी करने का प्रशिक्षण दिया.
प्रदर्शनी का नाम 'एक नई उमंग':अमृता कोचर ने बताया कि लगभग एक साल पहले इन बच्चों ने ड्राइंग सीखनी शुरू की. एक साल के अंदर सभी बच्चों ने इतने सुंदर चित्र बनाए कि सभी ने मिल कर चित्रकला प्रदर्शनी करने का फैसला किया. प्रदर्शनी का नाम 'एक नई उमंग' रखा गया है. उन्होंने बताया कि यह बच्चों में एक नई उमंग जगाता है, ताकि वो बड़े होकर मशहूर चित्रकार एमएफ हुसैन और अंजलि लीला मेनन जैसे बन सकता है.