नई दिल्ली:दिल्ली की राऊज एवेन्यू कोर्ट में पूर्व मंत्री एमजे अकबर की ओर से पत्रकार प्रिया रमानी के खिलाफ दायर मानहानि के मामले में आज एमजे अकबर की ओर से दलीलें खत्म हो गईं. एमजे अकबर की ओर से वकील गीता लूथरा ने कहा कि प्रिया रमानी ने जो आरोप लगाए वो उसे साबित करने में नाकाम रही हैं. आज प्रिया रमानी की ओर से वकील रेबेका जॉन ने अपनी दलीलें शुरू की. मामले की अगली सुनवाई 1 फरवरी को होगी.
कानून होने के बावजूद शिकायत नहीं की
सुनवाई के दौरान गीता लूथरा ने कहा कि एक रिपोर्टर को कानून की बुनियादी जानकारी होनी चाहिए. प्रेस और मीडिया का कर्तव्य है कि वो लोगों को शिक्षित करे. उन्होंने कहा कि सोशल मीडिया पर बिना कुछ वेरिफाई किए कुछ कहना आसान होता है.
लूथरा ने कहा कि 2013 के कानून के मुताबिक शिकायत तीन महीने में करनी होती है. लेकिन इस मामले में ऐसा कुछ नहीं किया गया. उन्होंने कहा कि रमानी ने एमजे अकबर को शिकारी कहा और इसका कोई सबूत नहीं है.
मीटू मूवमेंट की वजह से रमानी को हिम्मत हुई
लूथरा की दलीलें खत्म होने के बाद प्रिया रमानी की ओर से वकील रेबेका जॉन ने कहा कि मीटू मूवमेंट की वजह से रमानी को एमजे अकबर के खिलाफ कहने की हिम्मत हुई. उन्होंने कहा कि केवल इस आधार पर कि अभियुक्त ने 2017 तक नाम नहीं लिया, उसके आरोपों को गलत नहीं ठहराया जा सकता है. नोटिस में किसी भी आरोप की चर्चा नहीं थी. नोटिस के बाद ट्रायल शुरू हुआ. रमानी ने ट्रायल के दौरान सभी आरोपों का जवाब दिया है.
रेबेका जॉन ने वोग मैगजीन में छपे आलेख की चर्चा करते हुए कहा कि उसका पहला पैराग्राफ ही एमजे अकबर पर था. उसे पढ़ने से कहीं ऐसा नहीं लगता कि पूरा आलेख एमजे अकबर के लिए था. अगर वो चाहती तो पूरा आलेख एमजे अकबर पर लिख सकती थीं, उन्हें किसी ने रोका नहीं था. आलेख के बाकी पैराग्राफ दूसरी महिलाओं के अनुभवों के बारे में थे.
रमानी ने कोई कहानी नहीं गढ़ी
रेबेका जॉन ने कहा कि रमानी ने कोई कहानी नहीं गढ़ी, उनके साथ जो घटनाएं घटी वो बताईं. उन्होंने एमजे अकबर पर किसी महिला के साथ कार्यस्थल पर यौन प्रताड़ना के मामलों को नजरअंदाज करने का आरोप लगाया. जॉन ने कहा कि रमानी ने कभी भी एमजे अकबर की पत्रकारीय काबिलियत पर सवाल नहीं उठाया. उन्होंने कहा कि हम किसी को अच्छा वकील कहते हैं इसका मतलब ये नहीं कि हम उस पर आरोप नहीं लगा सकते हैं.
सोशल मीडिया पर ट्रायल चल रहा है
पिछले 23 जनवरी को सुनवाई के दौरान लूथरा ने कहा था कि कानून के राज में सोशल मीडिया ट्रायल स्वीकार्य नहीं है. लूथरा ने कहा था कि पत्रकारों को अलग से कोई विशेषाधिकार नहीं है. लूथरा ने कहा था कि प्रेस काउंसिल ने भी कहा है कि पत्रकारों को जिम्मेदार होना चाहिए.
ऐसे कई फैसले हैं जो बताते हैं कि समानांतर ट्रायल नहीं चलाया जा सकता है. यहां सोशल मीडिया पर ट्रायल चल रहा है. यह कानून के शासन में अस्वीकार्य है. लूथरा ने कहा था कि निष्पक्ष टिप्पणी अपमानजक नहीं माना जा सकता है. लूथरा ने कहा था कि एमजे अकबर को सबसे बड़ा शिकारी (predator) कहा गया. रमानी ने सोशल मीडिया का दुरुपयोग किया और यह जनहित में कदापि नहीं था.
रमानी ने कहानी गढ़ी
लूथरा ने कहा था कि रमानी ने अपने ट्वीट हटाए. प्रिया रमानी ने वोग मैगजीन में छपे आलेख को लेकर कहानी गढ़ी जिसका कोई अस्तित्व नहीं है. इसे प्रमाणित करने की जिम्मेदारी एमजे अकबर की नहीं है. लूथरा ने कहा था कि हमने जितने भी गवाह पेश किए उनमें से किसी से भी एमजे अकबर की छवि के बारे में सवाल नहीं किया गया. लेकिन दलीलों में इसे रखा गया. आप 20-30 सालों के बाद बिना किसी जिम्मेदारी के सोशल मीडिया पर आरोप नहीं लगा सकती हैं.
2018 में दर्ज किया था मुकदमा
एमजे अकबर ने 15 अक्टूबर 2018 को प्रिया रमानी के खिलाफ आपराधिक मानहानि का मुकदमा दायर किया था. उन्होंने प्रिया रमानी द्वारा अपने खिलाफ यौन प्रताड़ना का आरोप लगाने के बाद ये आपराधिक मानहानि का मुकदमा दर्ज कराया है.
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18 अक्टूबर 2018 को कोर्ट ने एमजे अकबर की आपराधिक मानहानि की याचिका पर संज्ञान लिया था. 25 फरवरी 2019 को कोर्ट ने पूर्व केंद्रीय मंत्री और पत्रकार एमजे अकबर द्वारा दायर आपराधिक मानहानि के मामले में पत्रकार प्रिया रमानी को जमानत दी थी.
प्रिया रमानी को निजी मुचलके पर जमानत दी थी
कोर्ट ने प्रिया रमानी को दस हजार रुपए के निजी मुचलके पर जमानत दी थी. कोर्ट ने 10 अप्रैल 2019 को प्रिया रमानी के खिलाफ आरोप तय किए थे.