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शहर के बीचोबीच से प्राचीन ईसाई कब्रिस्तान 'गायब', सिर्फ निशान बाकी

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Published : Sep 29, 2019, 8:36 AM IST

रिपोर्ट में यह बात भी सामने आई है कि मौजूदा सिमेट्री सीवर, बिजली और पानी की निकासी से जूझ रही हैं. साथ ही दिल्ली की ज्यादातर सिमेट्री फंड की कमी से भी परेशान हैं.

प्राचीन ईसाई कब्रिस्तान गायब etv bharat

नई दिल्ली:दिल्ली के बीचोबीच मौजूद ऐतिहासिक लालकिले के ठीक पीछे मौजूद प्राचीन ईसाई कब्रिस्तान रहस्यमय हालात में गायब हो गया है. दरअसल इलाके में एक प्राचीन ईसाई कब्रिस्तान की जगह कब्जा करते हुए लालकिला टूरिज्म के नाम पर एक बड़ी पार्किंग बना दी गई है.

प्राचीन ईसाई कब्रिस्तान गायब

बता दें कि पिछले कुछ समय से कमीशन ने लगातार मिलने वाली शिकायतों के बाद एक स्टडी भी कराई थी, जिसमें यह बात सामने आई कि कुछ लोगों ने कई कब्रिस्तानों पर कब्जे कर लिए हैं. रिपोर्ट में यह बात भी साफ हुई थी कि यह कब्जे सिर्फ आम पब्लिक ही नहीं बल्कि कई एजेंसियों ने भी किए हुए हैं. रिपोर्ट में यह बात भी सामने आई है कि मौजूदा सिमेट्री सीवर, बिजली और पानी की निकासी से जूझ रही हैं. साथ ही दिल्ली की ज्यादातर सिमेट्री फंड की कमी से भी परेशान हैं.

माइनॉरिटी कमीशन ने कराई थी कब्रिस्तान की स्टडी

कमीशन ने कब्रिस्तान की मौजूदा स्थिति और वहां की समस्याओं को देखते हुए इनकी स्टडी भी करा चुका है. फाउंडेशन ने इस स्टडी को देखते हुए अपनी टीमों को दो हिस्सों में बांटा, एक टीम ने चर्च और कब्रिस्तान से जुड़े डाटा और जरूरी जानकारियां इकट्ठा की, जबकि दूसरी टीम चर्च लीडर्स और प्रतिनिधियों से बातचीत कर कब्रिस्तान की मौजूदा हालात का जायजा लिया.

रिपोर्ट में जताई थी दफनाने की दिक्कत की आशंका

स्टडी के बाद तैयार रिपोर्ट में कमीशन को कई सुझाव भी दिए गए हैं, जिसमें कहा गया है कि यदि प्रशासन जल्द इन कब्रिस्तानों पर हुए कब्जों को नहीं हटवाता तो आने वाले समय में कब्रिस्तान में मुर्दों को दफन करने के लिए जगह ही नहीं बचेगी. ऐसे में प्रशासन के लिए भी यह जरूरी हो गया है कि ऐसी जगहों को कब्जों से मुक्त कराकर उन्हें संबंधित समाज को वापस सौंपा जाए.

आधा दर्जन ओपन ईसाई कब्रिस्तान

स्टडी में सामने आया कि पूरी दिल्ली में सात कब्रिस्तान मौजूद हैं, जिनमें इंडियन क्रिश्चयन सिमेट्री, बुराड़ी, एमसीडी क्रिश्चयन सिमेट्री, द्वारका, सेंट थॉमस, तुगलकाबाद, एल्फा ओमेगा, मंगोलपुरी,ओखला सिमेट्री, क्रिश्चयन सिमेट्री, बिहारी कालोनी और सेंट जोंस सिमेट्री महरौली मौजूद है. रिपोर्ट में बताया गया है कि इसके अलावा मौजूद सिमेट्री को बंद कर दिया गया है, और वहां केवल परिवार के लिए ही डबलिंग में जगह दी जा रही हैं.

बता दें कि सेंट जोंस सिर्फ सीएनआई परिवार को ही दिया जाता है, वहीं ओखला सिर्फ पेरिश परिवार ही इस्तेमाल कर सकते हैं.

दिल्ली के इन इलाकों में रहते हैं क्रिश्चियन

रिपोर्ट में यह बात भी सामने आई है कि दिल्ली की कुछ खास जगह ही हैं, जहां क्रिश्चियन आबादी निवास करती है. इसमें मयूर विहार, आर.के. पुरम, महरौली, दरियागंज, करोल बाग,बुराड़ी, रोहिणी, पुल बंगश, द्वारका और नजफगढ़ शामिल हैं. पांच मेन सिमेट्री में से दो ही चल रही हैं. जबकि बुराड़ी, द्वारका और तुगलकाबाद सिमेट्री में तो मुर्दों को दफनाने के लिए जगह ही नहीं बची है, ऐसे में नई जगह की जरूरत को ध्यान में रखते हुए तुरंत नई सिमेट्री बनाने का सुझाव दिया गया है.

राजधानी में मुस्लिम कब्रिस्तान गायब होना भले ही आश्चर्य में न डालता हो, लेकिन ऐतिहासिक लाल किले के ठीक पीछे रोड साइड पर कोतवाली के सामने मौजूद एक प्राचीन ईसाई सिमेट्री(कब्रिस्तान) का गायब हो जाना यकीनन हैरान करता है.

आम कब्रिस्तान नहीं

हैरत की बात तो यह है कि यह कब्रिस्तान कोई आम कब्रिस्तान नहीं बल्कि उन अंग्रेजों की कब्रों से भरा था, जिनका संबंध कहीं न कहीं भारत से रह गया है. माइनॉरिटी कमीशन ने इस मामले को संज्ञान में लेते हुए इसकी जांच कराने के साथ ही सम्बंधित एजेंसियों से जवाब तलब करने का आश्वासन दिया है.

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