नई दिल्लीः दिल्ली पुलिस ने कहा है कि उसने उत्तर-पूर्वी दिल्ली में हुए दंगों से जुड़े सभी एफआईआर को संवेदनशील घोषित किया है. दिल्ली पुलिस ने सीपीएम नेता वृंदा करात की याचिका का विरोध करते हुए कहा कि दंगों से जुड़े एफआईआर को सार्वजनिक नहीं करने का फैसला सांप्रदायिक सद्भाव बनाए रखने के लिए किया गया है. क्योंकि उन एफआईआर में शिकायतकर्ताओं और गवाहों के नाम है.
सीपीएम नेता वृंदा करात की याचिका पर हाईकोर्ट में सुनवाई जांच पर पड़ सकता है असर
दिल्ली पुलिस ने कहा है कि याचिका में जिन दस्तावेजों की मांग की गई है, उन्हें नहीं दिया जा सकता है. क्योंकि इससे जांच पर असर पड़ सकता है. लेकिन जब एफआईआर से संबंधित चार्जशीट दाखिल कर दी जाती है, तो उन दस्तावेजों की पूरी प्रति आरोपियों को मुफ्त में दी जाती है.
सभी मामलों में गिरफ्तार व्यक्तियों को अपराध प्रक्रिया संहिता के तहत जज के सामने पेश किया जाता है. हर मामले में आरोपी को कानूनी सहायता दी जाती है.
गिरफ्तार लोगों की सूची सार्वजनिक करने की मांग
सीपीएम नेता वृंदा करात ने उत्तर-पूर्वी दिल्ली में हुए दंगों के मामले गिरफ्तार हुए लोगों की सूची सार्वजनिक करने की मांग की है. करात ने पहले याचिका दायर कर यह मांग की थी. उन्होंने कहा था कि उत्तर-पूर्वी दिल्ली के दंगों के मामले में गिरफ्तार लोगों की सूची पुलिस कंट्रोल रूम और पुलिस थाने के बाहर सार्वजनिक रूप से लगाई जाए. इस सूची को हर केस के आधार पर अपडेट किया जाए.
'परिवार वालों से मिलने नहीं दिया जा रहा'
याचिका में कहा गया है कि जांच के दौरान लोगों को उनके परिवार वालों से मिलने नहीं दिया जा रहा है और पुलिस गिरफ्तार लोगों की पूरी जानकारी भी नहीं दे रही है. याचिका में कहा गया है कि 24 मार्च के बाद से लेकर लॉकडाउन तक दंगों को लेकर पुलिस की ओर से गिरफ्तार किए गए लोगों की संख्या और उनके नाम का खुलासा होना चाहिए.