नई दिल्लीःप्रदूषण की रोकथाम को लेकर दिल्ली सरकार ने दिल्ली मोटर व्हीकल एग्रीगेटर एंड डिलीवरी सर्विस प्रोवाइडर स्कीम को लागू कर दिया है. बुधवार को सचिवालय में प्रेस वार्ता कर परिवहन मंत्री कैलाश गहलोत ने यह जानकारी दी. उन्होंने कहा कि जितने भी एग्रीगेटर हैं, चाहे वह पैसेंजर ट्रांसपोर्ट, डिलीवरी या ई-कार्मस सर्विस से जुड़े हैं सभी को 2030 तक पूरी तरह अपने वाहनों को इलेक्ट्रिक करना होगा.
पैसेंजर एग्रीगेटर्स को सिर्फ इलेक्ट्रिक दो पहिया वाहन की खरीदने की अनुमति है. छह माह, एक, दो, तीन और चार साल में कितने इलेक्ट्रिक वाहन खरीदने हैं यह भी निर्धारित किया गया है. 2030 के बाद एग्रीगेटर द्वारा गैर इलेक्ट्रिक वाहन चलाने पर एक वाहन पर पांच हजार से एक लाख तक जुर्माना किया जाएगा. दूसरी बार में लाइसेंस भी निरस्त किया जा सकता है.
परिवहन मंत्री ने कहा कि पहले बड़ी संख्या में इलेक्ट्रिक बसें चलाई गई. और अब कैब एग्रीगेटर स्कील को नोटीफाई किया गया है. इसका दिल्ली मोटर वीकल एग्रीगेटर एंड डिलीवरी सर्विस प्रोवाइडर स्कीम नाम है. यह स्कीम तीन कैटेगरी पर लागू होगी. नंबर वन पैसेंजर ट्रांसपोर्ट जैसे कि ओला, उबर. नंबर टू डिलीवरी सर्विस प्रोवाइडर– स्वीगी, जोमैटो आदि डिलीवरी वाले. नंबर तीन ई-कामर्स फ्लिप कार्ट, अमाजोन आदि, बसों पर यह स्कीम नहीं लागू होगी. किसी भी एग्रीगेटर के पास 25 से कम वाहन होने पर यह नियम लागू नहीं होगा. 25 से अधिक वाहन होने पर यह नियम लागू होगा. आज से यह स्कीम नोटीफाई की जा रही है. इसके 90 दिन के अंदर नए ऑपरेटर या पुराने ऑपरेटर को लाइसेंस लेना पड़ेगा, लाइसेंस की पांच साल की वैलीडिटी होगी, इसका वार्षिक भुगतान भी करना होगा.