नई दिल्ली: अलहिकमह फाउंडेशन की 30वीं वार्षिक बैठक (Alhikmah Foundation 30th Annual Celebrations), कॉन्स्टीट्यूशन क्लब में बड़ी धूमधाम से आयोजित की गई. इस बैठक का विषय 'सामाजिक विकास में जन भागीदारी' रहा. वार्षिक सम्मेलन में स्वागत भाषण देते हुए फाउंडेशन के संस्थापक एवं अध्यक्ष डॉ. जियाउद्दीन अहमद नदवी ने अल्पसंख्यक आयोग के अध्यक्ष श्री इकबाल सिंह लालपुरा एवं विशिष्ट अतिथि के रूप में पूर्व केंद्रीय स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्री एवं सांसद डॉ हर्षवर्धन और अन्य वक्ताओं और अतिथियों का स्वागत किया. सम्मेलन की अध्यक्षता इंटरफेथ हार्मनी फाउंडेशन ऑफ इंडिया (इंटरफेथ सद्भावना से संबंधित एक गैर-सरकारी संगठन) के अध्यक्ष डॉ. ख्वाजा इफ्तिखार अहमद ने की, जबकि डॉ शकील फलाही ने निजामत के कर्तव्यों का पालन किया.
वार्षिक सम्मेलन को संबोधित करते हुए अल्पसंख्यक आयोग के अध्यक्ष श्री इकबाल सिंह लालपुरा ने सबसे पहले फाउंडेशन के प्रदर्शन की सराहना की और दर्शकों से फाउंडेशन के कार्य को हर स्तर पर पहुंचाने में सहयोग करने की अपील की. उन्होंने कहा कि हमारा सर्वांगीण विकास तभी संभव है जब हमारे बीच भाईचारा और प्रेम बढ़ता रहेगा, नफरत का माहौल कम होगा और सद्भावना बढ़ेगी. उन्होंने यह भी कहा कि ईश्वर की शरण लेने के लिए सबसे पहले अंतरात्मा की आवाज सुनना जरूरी है. इसी के साथ हम सत्य, प्रेम, सेवा, क्षमा और उसके आदर्श वाक्य को अपनाएंगे. समाज को स्वर्ग जैसा बनाने के लिए सबसे पहले हमें खुद को कुर्बान करना होगा, अपनी मर्जी के खिलाफ फैसले लेने होंगे और सबसे प्यार करने और सबके बीच प्यार बांटने का माहौल बनाना होगा.
इस दौरान पूर्व केंद्रीय स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्री एवं सांसद डॉ. हर्षवर्धन ने अपने मुख्य भाषण में कहा कि अलहिकमाह फाउंडेशन द्वारा चुना गया मार्ग और पिछले 30 वर्षों में आपसी भाईचारा, सहिष्णुता, शिक्षा और स्वास्थ्य, जनता का यह मार्ग होगा. यदि कल्याण के मिशन को प्रोत्साहित नहीं किया जाता है तो यह एक बड़ा कदाचार है. उन्होंने कहा कि आज हममें से प्रत्येक को यही सिद्धांत अपनाना होगा. ऐसे ही हमारे घर और समाज जन्नत का उदाहरण बनेगा. उन्होंने उच्च नैतिक मूल्यों को बढ़ावा देने पर भी जोर दिया और स्वास्थ्य और फिटनेस के साथ-साथ शारीरिक और आध्यात्मिक शुद्धि पर विशेष ध्यान देने की अपील की. उन्होंने कहा कि ईमानदारी, करुणा, संवेदनशीलता, एक दूसरे के लिए प्यार और सम्मान हमारी संस्कृति की आत्मा है. इसके माध्यम से हम उन सभी ऊंचाइयों को प्राप्त कर सकते हैं जिनकी हम आकांक्षा रखते हैं.
वहीं अलहिकमह फाउंडेशन के अध्यक्ष डॉ. जियाउद्दीन अहमद नदवी ने फाउंडेशन के लक्ष्यों और उद्देश्यों और पिछले 30 वर्षों के दौरान सामने आई चुनौतियों और उतार-चढ़ाव पर प्रकाश डाला. एक चिकित्सक के रूप में उन्होंने वहां उपस्थित श्रोताओं से भी अपील की कि प्रत्येक व्यक्ति को हमारे मिशन में ऐसे शामिल होना चाहिए जैसे कि यह उनका अपना हो. उन्होंने कहा कि हमारा उद्देश्य केवल अनपढ़ लोगों को शिक्षा के प्रकाश से आलोकित करना है. हमें आधुनिक मिथकों को मिटाना है और हमें युवाओं को नशे से निकालकर सही रास्ते पर लाना चाहिए, उन्हें रोजगार से जोड़ना चाहिए ताकि वे मूर्खता से बच सकें. साथ ही उच्च नैतिक मूल्यों वाले लोगों को तैयार किया जाना चाहिए और समाज को सकारात्मक बनाना चाहिए. इतना ही नहीं, समाज के लिए उपयोगी और प्रभावी बनने के लिए प्रत्येक व्यक्ति में जज्बे की भावना विकसित की जानी चाहिए.
बैठक को संबोधित करते हुए आईएएस की तैयारी करने वाले छात्रों के लिए प्रशिक्षण प्रदाता एवं मोटिवेशनल स्पीकर डॉ. समीर अहमद सिद्दीकी ने कहा कि आधुनिक समय में शिक्षा के मायने बदल गए हैं. हमारे छात्र प्रतियोगिता के भंवर में इतने फंस गए हैं कि उन्हें केवल दूसरों से आगे निकलने का जुनून सवार है. धर्मांध छात्र भविष्य में अपने और देश के लिए क्या करेंगे, यह तो समय ही बताएगा, लेकिन शिक्षा की गुणवत्ता में होड़ की अंधी दौड़ ने उन्हें परेशान किया है, जिसे हमें बदलने की जरूरत है. उन्होंने कहा कि एक कक्षा के हजारों छात्रों को 95 प्रतिशत से अधिक अंक प्राप्त होते हैं लेकिन उन्हें मन की शांति और संतुष्टि नहीं होती है.