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Kathua Rape Case: पीड़िता की पहचान उजागर करने के मामले में जुर्माना, 10 लाख रूपए जमा करेगा अल जजीरा

दिल्ली उच्च न्यायालय ने कठुआ दुष्कर्म मामले में पीड़िता की पहचान उजागर करने वाले कुछ मीडिया संस्थानों पर जुर्माना लगाया था. इस मामले में कुछ मीडिया संस्थानों ने हाल ही में जुर्माने के 10-10 लाख रुपये राशि जमा कराए हैं.

दिल्ली उच्च न्यायालय
दिल्ली उच्च न्यायालय

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Published : Feb 17, 2023, 10:24 AM IST

नई दिल्ली:कतर स्थित न्यूज नेटवर्क अल-जजीरा ने दिल्ली हाईकोर्ट को हलफनामा दाखिल कर सूचित किया है कि वह कठुआ रेप पीड़िता की पहचान उजागर करने के मामले में 10 लाख रुपए जुर्माना जमा करेगा. अल जजीरा के वकील न्यायालय के समक्ष प्रस्तुत हुए और कहा कि याचिका में आयोजित जिला के नाम में त्रुटि होने के चलते उन्हें नोटिस दिया ही नहीं गया था. हालांकि नोटिस जारी होने के बाद उन्होंने एक डिमांड ड्राफ्ट तैयार किया है, जिसे 2 दिन में जमा कर दिया जाएगा. इस मामले की सुनवाई मुख्य न्यायाधीश सतीश चंद्र शर्मा और न्यायमूर्ति सुब्रमण्यम प्रसाद की पीठ कर रही है.

अल जजीरा के वकील की दलील सुनने के बाद मुख्य न्यायाधीश की पीठ ने रजिस्ट्रार जनरल को अल जजीरा समेत सभी दोषी मीडिया घरानों द्वारा जमा किए गए धन को जम्मू-कश्मीर राज्य विधिक सेवा प्राधिकरण को हस्तांतरित करने का आदेश दिया है. कोर्ट ने रजिस्ट्रार जनरल के सभी प्रतिभागियों द्वारा जमा की गई राशि को प्रेषित किए जाने का निर्देश दिया है. इसके साथ यदि कोई ऐसी राशि अभी भी न्यायालय के पास पड़ी है, तो पीड़ित मुआवजा कोष द्वारा पीड़ित परिवारों को धन वितरण के लिए दिए जाने को कहा है.

कठुआ गैंगरेप और हत्या मामला: जम्मू और कश्मीर में कठुआ के पास जनवरी 2018 में 6 पुरुषों और एक किशोर ने 8 वर्षीय लड़की का अपहरण कर उसके साथ सामूहिक बलात्कार किया था. इस मामले में कुछ मीडिया संस्थानों के द्वारा पीड़िता की पहचान उजागर की गई थी. फिर अप्रैल 2018 में उच्च न्यायालय ने मीडिया द्वारा कठुआ बलात्कार मामले की कवरेज पर स्वत: संज्ञान लिया था और लगभग दो दर्जन न्यूज नेटवर्क और प्रकाशनों को यौन अपराधों के खिलाफ बच्चों के संरक्षण (POCSO) अधिनियम के मानदंडों और प्रावधानों का उल्लंघन करने के लिए नामित किया है, इन मीडिया कंपनियों को उच्च न्यायालय में 10-10 लाख रुपये जमा करने का निर्देश दिया था.

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यह राशि बाद में यौन हिंसा के पीड़ितों और मृतक पीड़ितों के परिवारों को संवितरण के लिए जम्मू और कश्मीर राज्य कानूनी सेवा प्राधिकरण को हस्तांतरित की जानी थी. चूंकि प्रत्येक समाचार आउटलेट ने राशि का भुगतान किया, इसलिए अदालत ने जनहित याचिका को निस्तारित कर दिया.

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