नई दिल्ली:राजधानी मेंप्रेस क्लब ऑफ इंडिया में आयोजित प्रेस कॉन्फ्रेंस में छात्र संगठन आइसा ने फोर ईयर अंडर ग्रेजुएट प्रोग्राम, महिलाओं और अन्य लैंगिक अल्पसंख्यकों की सुरक्षा, सस्ते और गुणवत्तापूर्ण हॉस्टल मेट्रो का किराया लगातार बढ़ने से आ रही दिक्कत सहित अन्य मांगों को लेकर मंगलवार को अपना घोषणा पत्र जारी किया. इस दौरान आइसा के दिल्ली विश्वविद्यालय छात्रसंघ चुनाव के चारों प्रत्याशी भी शामिल रहे.
थोपी गई पॉलिसी:आइसा द्वारा दिल्ली विश्वविद्यालय छात्रसंघ चुनाव 2023 के लिए इन मुद्दों को उठाया गया है. आइसा पदाधिकारियों ने कहा कि नई शिक्षा नीति 2020 के आने के बाद डीयू ने फोर ईयर अंडरग्रेजुएट प्रोग्राम जैसी पॉलिसी को जबरदस्ती थोपा. साथ ही नई शिक्षा नीति के परिणामस्वरुप कॉलेजों की फीस में कई गुना वृद्धि हुई है. हालांकि इससे हॉस्टल की कमी जैसे मुद्दों पर कोई काम नहीं किया गया है. वहीं बढ़ती महंगाई से छात्रों के सामने कई तरह की समस्याएं आई हैं.
सुरक्षा खतरे में:उन्होंने कहा कि इन्हीं मुद्दों को साथ लेकर आइसा डीयू के छात्रसंघ चुनाव में उतरी है. पदाधिकारियों ने कहा कि हमने लगातार पैसे और बाहुबल के खिलाफ आवाज को बुलंद किया है. अभाविप के कारण कैंपस की सुरक्षा हमेशा खतरे में रहती है और उनके कार्यकर्ता हमेशा गुंडागर्दी और छात्रों पर हमला करते रहते हैं. कैंपेनिंग के पहले वे 30-40 लोगों के झुंड में घूम रहे हैं और यह मांग कर रहे हैं कि उन सभी को कैंपस में प्रवेश करने की अनुमति मिले. यहां तक की उन्होंने रामानुजन कॉलेज का गेट तक तोड़ दिया जहां उन्हें प्रवेश देने के लिए मना कर दिया गया था.
अभाविप पर लगाए आरोप: आइसा पदाधिकारियों ने कहा कि चुनाव की घोषणा के साथ विश्वविद्यालय परिसर बाहरी लोगों से भर गया है, जो कैंपेनिंग के नाम पर आए दिन स्टूडेंट को कैंपस में डराने-धमकाने के साथ हिंसा करते हैं. कैंपेनिंग के दिनों में नामांकन प्रक्रिया के दौरान तथा पर्चा वापसी के दिन गुंडागर्दी छेड़छाड़ और डराने धमकाने की घटनाएं सामने आ रही हैं. हाल में एक आइसा कार्यकर्ता और विधि संकाय के अमन रावत के साथ एबीवीपी कार्यकर्ता ने मारपीट की थी. इस संदर्भ में मारिस नगर में एफआईआर भी दर्ज की जा चुकी है.