नई दिल्ली: नई दिल्ली एम्स के निदेशक(New Delhi AIIMS Director) प्रो. एम श्रीनिवास ने अस्पताल में सांसदों के इलाज के लिए एक मानक संचालन प्रक्रिया (एसओपी) बना दी है. साथ ही एक नियंत्रण कक्ष स्थापित करके 24 घंटे के लिए एक ड्यूटी आफिसर की तैनाती भी कर दी गई. बुधवार को एम्स निदेशक ने लोकसभा सचिवालय को पत्र लिखकर सांसदों के इलाज के लिए बनाई गई एसओपी की जानकारी दी है. पत्र में बताया गया है कि ड्यूटी आफिसर एक डाक्टर ही होगा, जिसकी जिम्मेदारी बिना देरी के एम्स में सांसदों को बिना देर किए सही और सुचारू इलाज दिलाना है. इसके लिए तीन लैंडलाइन और एक मोबाइल नंबर भी जारी कर दिया गया है. इन नंबरों पर फोन करके सांसदों के निजीकर्मी या लोकसभा सचिवालय के कर्मी बीमारी के बारे में जानकारी देकर ये बता सकते हैं कि वो किस डाक्टर को दिखाना चाहते हैं.
अप्वाइंटमेंट के दिन सांसद नियंत्रण कक्ष में पहुंचेंगे, वहीं से इनके इलाज की सारी व्यवस्था होगी. अगर सांसद को आपातकालीन स्थिति में लाया जाता है तो पेशेंट केयर मैनेजर उन्हें रिसीव करेगा और ये सुनिश्चित करेगा कि उन्हें बिना देरी के इलाज मिल सके और उन्हें इंतजार न करना पड़े. सांसदों की सिफारिश से आए मरीजों की मदद करने के लिए मीडिया और प्रोटोकाल विभाग काम करेगा. हालांकि एम्स में सांसदों के इलाज के लिए वीआइपी कल्चर कोई नई बात नहीं है लेकिन एसओपी जारी होने से इस पर सवाल उठने लगे हैं. उल्लेखनीय है कि आम आदमी को एम्स में इलाज के लिए धक्के खाने पड़ते हैं.
वहीं इसको लेकर एम्स के डॉक्टर संगठन ने विरोध करना शुरू कर दिया है. एम्स में सांसदों के इलाज के लिए बनाई गई एसओपी को लेकर रेजिडेंट डाक्टरों के संगठनों ने विरोध शुरू कर दिया है. डाक्टरों के संगठन फेडरेशन आफ रेजिडेंट डाक्टर्स एसोसिएशन इंडिया (फोर्डा), फेडरेशन ऑफ आल इंडिया मेडिकल एसोसिएशन (एफएआइएमए) ने केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री मनसुख मांडविया और प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी को ट्वीट कर लिखा है कि एक तरफ प्रधानमंत्री देश से वीआइपी कल्चर को खत्म करने में लगे हैं. वहीं, दूसरी तरफ एम्स के निदेशक वीआइपी कल्चर को बढ़ावा दे रहे हैं. सांसदों को इलाज में वरीयता देने से कहीं न कहीं आम आदमी को इलाज में मुश्किलों का सामना करना पड़ेगा.