नई दिल्ली: दिल्ली सरकार में सर्विसेस को लेकर सुप्रीम कोर्ट के आदेश को पलटने के लिए केंद्र सरकार द्वारा लाए गए अध्यादेश का आम आदमी पार्टी विरोध कर रही है. इसी अध्यादेश के खिलाफ विपक्षी दलों का समर्थन हासिल करने की कोशिश में आम आदमी पार्टी के संयोजक और दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल अपने सहयोगियों के साथ निकल पड़े हैं. पार्टी के एजेंडे में अध्यादेश के खिलाफ विपक्षी दलों के समर्थन हासिल करने की कोशिश के अलावा इस साल होने वाले राज्यों के विधानसभा चुनाव में बीजेपी और कांग्रेस की जगह वहां की जनता को एक विकल्प देना भी शामिल है.
आम आदमी पार्टी की ओर से बताया गया है कि वह मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़ व राजस्थान की सभी विधानसभा सीटों पर चुनाव लड़ेगी. इन राज्यों में चुनाव लड़ कर, पार्टी आगामी लोकसभा चुनाव के मद्देनजर अपनी एक रणनीति तैयार कर रही है. दिल्ली व पंजाब के सत्ता पर काबिज होने के बाद आम आदमी पार्टी को राष्ट्रीय पार्टी का खिताब मिल चुका है और आगे इसे बढ़ाने के लिए वह मध्यप्रदेश, छत्तीसगढ़, राजस्थान के विधानसभा चुनाव में पुरजोर तरीके से चुनाव लड़ेगी. यहां उसका सीधा मुकाबला कांग्रेस व भाजपा से होगा. पार्टी के सांसद और रणनीतिकार संदीप पाठक मानते हैं कि इन राज्यों में लोग कांग्रेस व भाजपा का विकल्प तलाश रहे हैं. मतदाताओं को वही विकल्प देने के लिए पार्टी वहां अपने प्रत्याशियों को उतारेगी.
छत्तीसगढ़ के प्रभारी व दिल्ली सरकार के मंत्री गोपाल राय का कहना है कि, उक्त तीनों राज्यों में अगर कांग्रेस कमजोर होती है तो कांग्रेस के साथ ही दूसरी क्षेत्रीय पार्टियां भी यह मानने को मजबूर होंगी कि आम आदमी पार्टी के बगैर बीजेपी को टक्कर नहीं दी जा सकती. मजबूत विपक्ष के लिए आम आदमी पार्टी एक जरूरत बन जाएगी. आम आदमी पार्टी किसी विशेष विचारधारा पे नहीं टिकी है. दिल्ली की सत्ता में काबिज आम आदमी पार्टी, दूसरे क्षेत्रीय दलों से अपने आपको अलग पेश करती है. तभी पार्टी के संयोजक अरविंद केजरीवाल के साथ किसी जाति व क्षेत्र के बंधे होने की मजबूरी नहीं है.