नई दिल्ली: दिल्ली के प्रगति मैदान से संचालित एक विज्ञापन एजेंसी अपना दफ्तर बंद कर चुकी है, कंपनी के कुछ कर्मचारी अपने घरों से काम कर रहे हैं, वहीं कई की छंटनी हो चुकी है. कोरोना और लॉकडाउन के कारण पैदा हुए हालात अब तक पटरी पर नहीं आए हैं. लॉकडाउन की घोषणा के एक सप्ताह के भीतर इस एजेंसी के 5 क्लाइंट्स ने काम वापस ले लिया था.
कोरोना के कारण विज्ञापन के कारोबार पर छाई मंदी सिमटता जा रहा काम
नाम उजागर नहीं करने की शर्त पर एक कंपनी के सह-प्रबंधक ने जो अपनी दशा बताई, वो कोरोना का कुप्रभाव समझने के लिए काफी है. कुछ ऐसे ही हालात से गाजियाबाद के वसुंधरा की एक ऐड एजेंसी भी गुजर रही है. उन्होंने भी अपना नाम नहीं उजागर करने को कहा. इस एजेंसी का काम पूरे दिल्ली एनसीआर में था, लेकिन आज के समय में यह गाजियाबाद तक सिमट कर रह गई है.
खस्ताहाली के दौर से गुजर रहे
ईटीवी भारत से फोन पर बातचीत में इस एजेंसी के एमडी ने बताया कि दिल्ली के विधानसभा चुनाव के बाद से अब तक कारोबार खस्ताहाली के दौर से गुजर रहा है. हालात ये हैं कि अब कर्मचारियों की सैलरी और दफ्तर का किराया भी मुश्किल से निकल पा रहा है. इन ऐड एजेंसियों के संचालकों की कहानी की हकीकत से दिल्ली की सड़कों पर लगे होर्डिंग भी रूबरू कराते हैं.
विज्ञापन के इंतजार में
दिल्ली के अलग अलग इलाकों में अब भी कई ऐसी होर्डिंग्स की जगह हैं, जो होर्डिंग्स के इंतजार में खड़े हैं. वहीं कई ऐसे भी हैं, जिनपर ऐड एजेंसियों ने अपना नम्बर लिख रखा है कि होर्डिंग रूप में ऐड देना हो, तो संपर्क करें. अभी के समय में जितने होर्डिंग नजर आते हैं, उनमें सरकारी विज्ञापन या राजनीतिक पोस्टरबाजी ही प्रमुखता से है. देखने वाली बात होगी कि यह कारोबार कब तक रफ्तार पकड़ पाता है.