नई दिल्ली: राजधानी दिल्ली के सरकारी स्कूलों में छात्रों का जीवन संवारने वाले शिक्षकों पर पढ़ाई के अलावा 90 ड्यूटी का अतिरिक्त बोझ है. इससे शिक्षक को शिक्षण कार्य के लिए समय ही नहीं बच रहा है. कभी कोविड की ड्यूटी तो कभी राशन वितरण के काम में शिक्षकों की ड्यूटी लगा दी जाती है. इस तरह की अतिरिक्त 90 ड्यूटी शिक्षकों से ली जा रही है.
साल 2014 से पहले तक शिक्षकों पर पढ़ाई के अलावा 30 ड्यूटी लगाई गई थी. लेकिन साल 2014 के बाद शिक्षकों की ड्यूटी में 60 ड्यूटी और जोड़ दी गई, जिसके बाद शिक्षकों की कुल 90 ड्यूटी तय की गई है. हालांकि इन ड्यूटी के खिलाफ शिक्षक संघ भी हैं और अपना विरोध भी जता रहे हैं. इस संबंध में जब ईटीवी भारत ने गवर्मेंट स्कूल टीचर एसोसिएशन (जीएसटीए) के वेस्ट ए के सचिव संत राम से बात की तो उन्होंने बताया कि, दिल्ली के सरकारी विद्यालयों में आधारभूत ढांचा सुधरा है, लेकिन पढ़ाई की बुनियाद हिल चुकी है, क्योंकि शिक्षक के पास शिक्षण कार्य के लिए ही समय नहीं बचा है. रोज के नए फरमान, अनावश्यक सूचना की जानकारी, प्रशिक्षण में जाना, गतिविधि में भाग लेना और लगभग 73 तरह के चार्ज को खुद ही संभालना, इसलिए दिल्ली की शिक्षा में गिरावट आई है.