नई दिल्ली:जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय में केवल साइंस के छात्रों को चरणबद्ध तरीके से प्रवेश दिए जाने का मामला तूल पकड़ता जा रहा है. जेएनयू के पूर्व डीन ऑफ स्टूडेंट्स प्रो. उमेश कदम के विरोध के बाद अब अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद ( ABVP ) ने भी जेएनयू प्रशासन के फैसले को छात्र विरोधी बताया है और कहा कि जेएनयू प्रशासन की भेदभाव की नीति साफ देखी जा सकती है, जिसका छात्र पुरज़ोर विरोध करते हैं.
सोशल साइंस के छात्रों को कैंपस में नहीं मिला प्रवेश DOS ऑफिस पर छात्रों ने किया प्रदर्शनप्रदर्शनकारी विकास गौतम ने कहा कि जो विश्वविद्यालय सबसे अधिक सोशल साइंस के लिए जाना जाता है, उसमें सोशल साइंस के छात्रों को प्रवेश दिए जाने की मनाही क्यों की गई है. साथ ही उन्होंने कहा कि पढ़ाई सभी छात्रों के लिए समान होती है फिर चाहे वह भाषा के छात्र हों या सोशल साइंस के छात्र. लेकिन केवल साइंस के छात्रों को वरीयता देते हुए उन्हें ही विश्वविद्यालय में प्रवेश देना उनकी भेदभाव की नीति का उदाहरण है.
सभी मेस नहीं खुले होने से छात्रों को हो रही है परेशानीविकास ने कहा कि इस तरह का फरमान जारी किया गया है, इससे पहले भी जेएनयू प्रशासन अपने मनमाने नियम छात्रों पर थोप चुका है. विकास ने जेएनयू प्रशासन पर कैंपस में विदेशी नीति लागू करने का आरोप लगाया है. उन्होंने कहा कि एक बार तो यह स्तिथि हुई कि छात्र बर्तन लेकर एक मेस से दूसरे मेस घूमने को मजबूर हुए, जिसे देखकर लग रहा था मानो दिहाड़ी मजदूर रोटी के लिए भटक रहे हों.
ईटीवी भारत ने प्रमुखता से दिखाई थी परेशानी की खबरबता दें कि विश्वविद्यालय में सोशल साइंस के छात्रों को आ रही परेशानी को मुख्य रूप से दिखाया था. वहीं इन छात्रों ने ईटीवी भारत से बातचीत के दौरान सोशल साइंस के छात्रों के साथ भेदभाव का आरोप लगाया था. वहीं अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद ने भी इस मांग का समर्थन किया है और जेएनयू प्रशासन से सभी के लिए समान रूप से विश्वविद्यालय खोलने की मांग की है. साथ ही मेस की सुविधा भी शुरू करने की मांग की है, जिससे छात्रों को किसी तरह की परेशानी ना हो.