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दिल्ली से लेकर पंजाब तक AAP ने 'रेफरेंडम' को बनाया हथियार, पार्टी का रहा है पुराना नाता

आम आदमी पार्टी के संयोजक और दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल एक बार फिर रेफरेंडम यानी जनमत संग्रह करने जा रहे हैं. केजरीवाल पार्टी के मुखिया हैं, इसलिए यह फैसला उनकी मौजूदगी में पार्टी के ही तमाम विधायक, पार्षद और अन्य नेताओं ने लिया है. AAP To Hold Referendum, AAP MLAs meeting

AAP ने 'रेफरेंडम' को बनाया हथियार
AAP ने 'रेफरेंडम' को बनाया हथियार

By ETV Bharat Delhi Team

Published : Nov 8, 2023, 5:26 PM IST

नई दिल्ली: दिल्ली में आम आदमी पार्टी के विधायकों ने सोमवार को मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल के साथ विधानसभा में मीटिंग की. विधायकों ने कहा कि शराब घोटाले के चलते अगर उन्हें जेल भी जाना पड़े तो वह इस्तीफा न दें, यही बात अगले दिन मंगलवार को आम आदमी पार्टी के निगम पार्षदों ने भी मुख्यमंत्री से मीटिंग में कही. फिर निर्णय हुआ कि पूरी दिल्ली और देश में आम आदमी पार्टी रेफरेंडम करेगी. क्या केजरीवाल को इस्तीफा देना चाहिए या जेल से ही सरकार चलानी चाहिए? अब पार्टी इस तैयारी में है कि दिल्ली में नुक्कड़ मीटिंग कर जनता से रायशुमारी की जाए.

राजनीतिक विश्लेषक जगदीश ममगाईं कहते हैं कि आम आदमी पार्टी दिल्ली में कथित शराब घोटाले में फंसती जा रही है. पूर्व उपमुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया फरवरी से जेल में है. वहीं, सांसद संजय सिंह भी एक महीने से अधिक समय से तिहाड़ जेल में बंद है. AAP प्रवक्ता विजय नायर शराब घोटाले में सबसे पहले गिरफ्तार हुआ था. 30 अक्टूबर को इसी मामले में केजरीवाल को ईडी ने समन किया है. AAP के नेता संभावना जता रहे हैं कि केजरीवाल को ईडी गिरफ्तार कर लेगी. इसलिए पार्टी के नेता तब से लेकर अब तक नई-नई रणनीति बनाकर जनता को बता रहे हैं.

ईडी ने अभी नई तारीख नहीं दी है, लेकिन मंगलवार को विधायक व निगम प्रभारी दुर्गेश पाठक ने कहा कि पार्टी दिल्ली, पंजाब और देश के अन्य हिस्सों में पार्टी कार्यकर्ताओं का जनमत संग्रह कराएगी. क्या मुख्यमंत्री केजरीवाल को अपने पद से हट जाना चाहिए? या फिर सीएम पद पर बने रहना चाहिए और जेल से सरकार चलानी चाहिए?

दिल्ली बीजेपी ने साधा निशाना: आम आदमी पार्टी के जनमत संग्रह कराए जाने को लेकर दिल्ली बीजेपी के प्रवक्ता प्रवीण शंकर कपूर कहना है कि यह राजनीतिक पैतरेबाजी है. पार्टी हर तरह से 2024 की लोकसभा चुनाव और चुनावी राज्यों में इन दिनों अपने नए-नए पैंतरे को अपना रही है. जनमत संग्रह का नतीजा भी सभी को पहले से मालूम है. उन्होंने कहा कि इंडिया अगेंस्ट करप्शन अभियान के दौरान अपनाई गई फोन कॉल रणनीति को हथियार के रूप में इस्तेमाल किया जाएगा.

बीजेपी ने आम आदमी पार्टी पर शराब घोटाले में मनी लॉन्ड्रिंग को लेकर ईडी के समन को लेकर केजरीवाल पर नाटक करने का आरोप लगाया है. इसलिए दो दिनों से आम आदमी पार्टी अवधारणा बनाने की कोशिश कर रही है कि केजरीवाल एक जिंदा शहीद है, लेकिन AAP नेताओं को यह पता होना चाहिए कि दिल्लीवासी जानते हैं कि केजरीवाल कथित शराब घोटाले में शामिल हैं.

बता दें, प्रवर्तन निदेशालय ने 30 अक्टूबर को मुख्यमंत्री केजरीवाल को समन भेजकर 2 नवंबर को पेश होने को कहा था. केजरीवाल ने समन को अवैध बताते हुए नजरअंदाज कर दिया और चुनावी रैली को संबोधित करने के लिए उसी दिन मध्य प्रदेश रवाना हो गए. उन्होंने आरोप लगाया कि केंद्रीय एजेंसी उनकी छवि खराब करने के लिए भाजपा की सहारे पर काम कर रही है. तब से आम आदमी पार्टी के तमाम नेता केजरीवाल की गिरफ्तारी की आशंका जाता रहे हैं.

रेफरेंडम से पुराना नाता:अन्ना आंदोलन के बाद 26 नवंबर 2012 को आम आदमी पार्टी गठन हुआ था. पहली बार दिल्ली विधानसभा चुनाव लड़ने और उसमें 28 सीटें जीतने के बाद सरकार बनाने के लिए कांग्रेस ने समर्थन देने की पेशकश की तब केजरीवाल असमंजस की स्थिति में फंस गए थे. तब केजरीवाल गाजियाबाद के कौशांबी इलाके में एक साधारण से अपार्टमेंट में रहते थे. उनके मन में जब यह सवाल आया कि क्या सरकार बननी चाहिए? केजरीवाल बाहर मिलने जुलने वाले आए लोगों से पहले अपने परिवार के सदस्यों पत्नी, माता-पिता और बच्चों तक से इस बारे में बात की. तब केजरीवाल के करीबी बताते हैं कि उनकी पत्नी और माता-पिता ने कहा कि, हां उन्हें सरकार बननी चाहिए.

केजरीवाल के पिता गोविंद राम केजरीवाल ने कहा था कि वे अपने बेटे को मुख्यमंत्री पद की शपथ लेते देख सकते हैं. कहते हैं कि केजरीवाल ने हर एक से पूछा क्या उन्हें कांग्रेस के समर्थन से सत्ता संभालती चाहिए और कई दिनों तक इस बारे में सोचा. फिर दिल्ली की जनता से भी उन्होंने जनमत संग्रह किया था. इसके बाद दिल्ली में कई ऐसे अवसर आए जब सरकार द्वारा लिए गए फैसलों से पहले आम आदमी पार्टी की सरकार ने जनमत संग्रह कर राय जानी.

रेफरेंडम मॉडल को पंजाब में भी आजमाया:दिल्ली के बाद जब आम आदमी पार्टी ने पंजाब में चुनाव लड़ने का फैसला लिया तब बड़ा सवाल था कि वहां पर पार्टी के मुख्यमंत्री पद का चेहरा कौन होगा. कई दिनों पर तक इसमें अटकलें लगाई गई. उस समय भगवंत मान पार्टी के सांसद हुआ करते थे. आम आदमी पार्टी ने पंजाब की विधानसभा सीटों के लिए जितने प्रत्याशी मैदान में उतारे थे, इनमें से कौन मुख्यमंत्री पद का दावेदार होगा, यह तय करने के लिए भी पार्टी ने वहां पर रेफरेंडम कराया था. इसके नतीजे बताने के लिए मुख्यमंत्री खुद पंजाब पहुंचे थे. रेफरेंडम के नतीजे का ही हवाला देते हुए कहा कि पंजाब की जनता चाहती है कि भगवंत मान पंजाब के भावी मुख्यमंत्री बने.

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