नई दिल्ली: दिल्ली नगर निगम में मेयर चुनाव को लेकर आए नतीजे के बाद अब आम आदमी पार्टी जोन कमेटी में मनोनीत पार्षदों की वोटिंग के अधिकार को खत्म करने के लिए अब सुप्रीम कोर्ट का रुख करने की तैयारी में है. आम आदमी पार्टी के निगम प्रभारी दुर्गेश पाठक के मुताबिक पार्टी में अब इस बात पर विचार शुरू हो गया है कि जोन वार्ड समितियों के चुनाव में भी मनोनीत पार्षदों को मिले मतदान के अधिकार को भी चुनौती दी जाए.
दरअसल, बीजेपी ने निगम के तीन जोन में निगम संबंधी मामलों के जानकर 10 लोगों को मनोनीत पार्षद के तौर पर मनोनीत करके अपने लिए वार्ड समितियों में बहुमत का जुगाड़ करने की कोशिश की है. उपराज्यपाल ने सिविल लाइंस और नरेला जोन में 4-4 और सेंट्रल जोन में दो मनोनीत पार्षदों को नियुक्त किया है, जिसकी वजह से बीजेपी 12 में से 7 जोन में बहुमत में नजर आ रही है. जबकि आम आदमी पार्टी के पास 12 जोन में से 5 जोन हैं. ऐसे में स्थायी समिति में बीजेपी के सात और आम आदमी पार्टी के पांच सदस्य चुनकर आ सकते हैं.
स्थायी समिति में कुल 18 सदस्य होते हैं और इनमें से छह सदस्यों का चुनाव सदन की पहली बैठक में होता है. सदन की बैठक में बीजेपी और आपके तीन-तीन सदस्य चुनकर आते हैं, तो बीजेपी के पास स्थायी समिति में बहुमत हो जाएगा. यदि सदन में बीजेपी के दो और आम आदमी पार्टी के 4 सदस्य चुनकर आते हैं तो स्थायी समिति में दोनों के पास नौ-नौ सदस्य होंगे. ऐसे में स्थायी समिति का चुनाव लॉटरी के आधार पर होगा. इस समस्या से बचने के लिए आम आदमी पार्टी के नेता मनोनीत पार्षदों को वोटिंग के अधिकार के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट जाने का मन बना रहे हैं.