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क्या कांग्रेस की नेतृत्वहीनता का फायदा AAP को मिल रहा है? - आम आदमी पार्टी

2013 में अरविंद केजरीवाल का पहली बार मुख्यमंत्री बनना कांग्रेस के समर्थन और सहयोग से ही सम्भव हो सका था. लेकिन अभी से ऐसा लगने लगा है कि लगातार दूसरी बार आम आदमी पार्टी कांग्रेस को दिल्ली में शून्य की स्थिति में पहुंचा सकती है.

सीएम केजरीवाल etv bharat

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Published : Oct 11, 2019, 5:47 AM IST

Updated : Oct 11, 2019, 11:59 AM IST

नई दिल्ली: कांग्रेस पार्टी देश भर में अपने सबसे बुरे दौर से गुजर रही है. दिल्ली में भी यही स्थिति है. दिल्ली में तो कांग्रेस पार्टी एक तरह से नेतृत्व विहीन भी है. शीला दीक्षित के निधन के बाद से अब तक किसी को दिल्ली प्रदेश कांग्रेस की जिम्मेदारी नहीं दी जा सकी है.

वहीं दूसरी तरफ आम आदमी पार्टी और भारतीय जनता पार्टी ने अपना चुनावी कैंपेन भी शुरू कर दिया है.

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'दिल्ली कांग्रेस में नेतृत्व की कमी'
नेतृत्वहीनता ही वो कारण है कि कांग्रेस पार्टी के कार्यकर्ता और जमीनी नेता पार्टी से दूर हो रहे हैं. बीजेपी से वैचारिक दूरी के कारण इन नेताओं की बीजेपी से निकटता तो नहीं हो रही, लेकिन ये लगातार आम आदमी पार्टी की तरफ आकर्षित हो रहे हैं.

लोकसभा चुनाव के बाद से अब तक करीब दर्जन भर अलग-अलग विधानसभाओं के जमीनी स्तर के नेताओं ने आम आदमी पार्टी का दामन थामा है. बीते दिनों एक समय में पार्टी के कद्दावर नेता रहे प्रह्लाद सिंह साहनी भी आम आदमी पार्टी में शामिल हो गए थे.

आम आदमी पार्टी की अब भी दिल्ली प्रदेश कांग्रेस के कई नामचीन चेहरों के साथ बातचीत जारी है. सूत्रों का कहना है कि आने वाले दिनों में दिल्ली प्रदेश कांग्रेस के कई बड़े चेहरे आम आदमी पार्टी का दामन थाम सकते हैं, इनमें एक पूर्व विधायक भी शामिल हैं.

अगर ऐसा होता है तो इसमें अतिश्योक्ति नहीं होनी चाहिए कि 2015 की तुलना में इस बार ज्यादा ताकत के साथ मैदान में उतरने वाली भाजपा और सत्ताधारी आम आदमी पार्टी की लड़ाई में कांग्रेस फिर से शून्य की स्थिति में पहुंच सकती है.

Last Updated : Oct 11, 2019, 11:59 AM IST

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