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दिल्ली इलेक्शन: जब तक जनता का मूड नहीं बदला, तब तक फायदे में हैं केजरीवाल

8 फरवरी को दिल्ली विधानसभा चुनाव हैं. ऐसे में सत्ता हासिल करने के लिए हर राजनीतिक दल एड़ी-चोटी का जोर लगा रहा है, हालांकि इस रेस में सत्ता पर काबिज आम आदमी पार्टी ज्यादा मजबूत नजर आ रही है.

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Published : Jan 14, 2020, 12:36 PM IST

Delhi election 2020
दिल्ली इलेक्शन 2020

नई दिल्ली: 2019 लोकसभा चुनाव में बीजेपी ने दिल्ली में 57% वोट हासिल किए और सभी 7 लोकसभा सीटें जीती. सिर्फ 18% वोटों के साथ आम आदमी पार्टी 5 सीटों पर तीसरे स्थान पर रही. खंड स्तर पर बात करें तो बीजेपी कुल 70 में से 65 पर आगे रही, कांग्रेस 5 सीटों पर आगे थी और आम आदमी पार्टी किसी भी सीट पर लीड नहीं कर पाई.

बुद्धिजीवियों का मानना है कि आगामी विधानसभा चुनाव में बीजेपी जीत के लिए आश्वस्त हो सकती है, लेकिन तब, जब जनता का आम आदमी पार्टी से विश्वास उठ जाए. बीजेपी सत्ता पर काबिज AAP का मुकाबला करने के लिए कड़ी मेहनत कर रही है. वहीं कांग्रेस इस चुनावी लड़ाई में फिलहाल कहीं नहीं है.

गलती से सीखा सबक

जनता का मूड एकदम बदला है. इस उलटफेर के पीछे एक बड़ी वजह AAP अध्यक्ष और दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल हैं. उन्होंने 2019 के चुनाव में अपनी गलती से सबक सीखा है. दिल्ली वासियों का एक नारा उस वक्त काफी लोकप्रिय हुआ था- 'Modi for PM and Kejriwal for CM'.अरविंद केजरीवाल ने इसे स्वीकार करते हुए पीएम मोदी पर किसी भी तरह का वार करना बंद कर दिया. इससे पहले केजरीवाल 'मोदी को टक्कर देने वाला अकेला नेता' वाली छवि अर्जित करने की कोशिश में थे और अकसर पीएम मोदी को कई राष्ट्रीय मुद्दों पर घेरते रहते थे.

विधानसभा चुनाव जीतने के लिए आम आदमी पार्टी ने कमर कस ली है. पार्टी अपने पिछले 5 साल के कार्यकाल की उपलब्धियों को गिनवाते हुए लगातार प्रचार-प्रसार कर रही है-

  • AAP सरकार ने शिक्षा के लिए अपने बजट का 35% हिस्सा आवंटित किया. शिक्षा व्यवस्था में सुधार किया और छात्र हित में कई योजनाएं लेकर आई. शिक्षकों को विदेश भेजकर अच्छी ट्रेनिंग दिलवाना भी इसमें शामिल है.
  • स्वास्थ्य के मोर्चे पर, AAP के मोहल्ला क्लीनिक काफी हिट रहे हैं. हर मोहल्ला क्लीनिक में एक डॉक्टर, एक फार्मासिस्ट और एक सहायक होता है. 1 किलोमीटर के दायरे में करीब 12,000 आबादी को ये सुविधा दी जा रही है. अब तक दिल्ली में 400 मोहल्ला क्लीनिक चालू हैं.
  • दिल्ली को महिलाओं के लिए असुरक्षित माना जाता रहा है. ऐसे में AAP सरकार ने 29 अक्टूबर को महिला यात्रियों के लिए पिंक-पास का ऐलान किया. इसके जरिए महिलाओं को मार्शल युक्त डीटीसी बसों में मुफ्त यात्रा की सुविधा दी गई. लाभार्थी महिलाएं सुरक्षित महसूस करती हैं और हर महीने औसतन 1200 से 1800 रुपये बचाती हैं.
  • 200 यूनिट तक की खपत के लिए पानी-बिल और बिजली बिल में कटौती ने भी आम आदमी को प्रभावित किया है.

लोगों ने देखा विकास

दरअसल दिल्ली के आम आदमी ने AAP के शासन में विकास देखा है. कई क्षेत्रों में AAP सरकार की सफलता के लिए तारीफ की जाती है. मध्यम वर्गीय लोगों का एक बड़ा हिस्सा, जिन्होंने 2019 के आम चुनाव में मोदी को वोट दिया, वो इस विधानसभा चुनाव में AAP का समर्थन कर रहे हैं. वहीं शहरी गरीब तबका, जिन्होंने पहले कांग्रेस को वोट दिया था, वो भी AAP को पसंद कर रहे हैं.

एक स्वतंत्र राजनीतिक विश्लेषक का कहना है कि-

दिल्ली में पहली बार स्थानीय मुद्दों पर काम हुआ, जैसे स्वास्थ्य, शिक्षा और महिला-सुरक्षा. सत्ता में अपने कार्यकाल के दौरान कांग्रेस और बीजेपी दोनों ने इन मुद्दों पर बहुत कम काम किया ये कहकर कि उनके पास संसाधनों की कमी है. दिल्ली सरकार के पास भी सीमित संसाधन और सीमित शक्ति थी. इसके बावजूद AAP सरकार ने इन्हीं सीमित संसाधनों के साथ काम किया.

लोगों के दिलों में बनाई जगह

गुड गवर्नेंस के एजेंडे का पालन करते हुए दिल्ली सरकार अपने विरोधियों में भी जगह बनाने में सफल रही. इनमें पूर्वांचली (यूपी और बिहार से आए प्रवासी, पूर्व कांग्रेस समर्थक) और पंजाबी-जाट लॉबी (पूर्व बीजेपी समर्थक) शामिल है. केजरीवाल खुद को दलित समाज (पूर्व बीजेपी समर्थक) से बताते हुए पहले से ही इस समुदाय के पसंदीदा हैं और गरीब तबके (पूर्व कांग्रेस समर्थक) की भी पसंद केजरीवाल ही हैं.

कुछ ऐसी है केजरीवाल की छवि

AAP के पक्ष में एक और कारक अरविंद केजरीवाल की छवि है. पार्टी के कई संस्थापक सदस्यों ने AAP का साथ छोड़ दिया है, लेकिन फिर भी अरविंद केजरीवाल की छवि बरकरार है. 6 वर्षों के सार्वजनिक जीवन में, उन्होंने ये बता दिया कि वोट मांगने के लिए खादी पहनने या हाथ जोड़ने की जरूरत नहीं है. उनका व्यक्तित्व एक्स-फैक्टर है जो उन्हें बीजेपी और कांग्रेस से अलग करता है.

नरम-हिंदुत्व का सहारा

एक कदम आगे बढ़ते हुए AAP ने नरम-हिंदुत्व का भी सहारा लिया. इसने हिंदू बुजुर्गों के लिए तीर्थ यात्रा योजना शुरू की. यमुना नदी (भगवान कृष्ण की पसंदीदा) की सफाई के लिए दिल्ली सरकार ने प्रयास किए. हालांकि AAP ने संसद में CAB का विरोध किया, लेकिन उसने अनुच्छेद 370 को खत्म करने के पक्ष में मतदान किया.

बीजेपी-कांग्रेस के पास नहीं है चेहरा

आम आदमी पार्टी के पास अपनी खुद की ताकत के अलावा सकारात्मक बात ये है कि प्रतिद्वंद्वी कमजोर नजर आ रहे हैं. बीजेपी और कांग्रेस के पास अरविंद केजरीवाल का मुकाबला करने के लिए अपने सीएम उम्मीदवारों का नाम अभी तक नहीं है. गुटबाजी बीजेपी और कांग्रेस दोनों की आम समस्या है.

AAP लगातार सवाल उठा रही है कि 'केजरीवाल बनाम कौन?' आम चुनाव में बीजेपी ने 'मोदी बनाम कौन?' सवाल उठाया था.

बीजेपी ने पहले मुख्य रूप से धारा 370 सहित राष्ट्रीय मुद्दों पर ध्यान केंद्रित करने की योजना बनाई. अयोध्या में राम मंदिर के लिए SC का फैसला और फिर CAA. लेकिन हाल ही में झारखंड में ऐसे मुद्दों की चुनावी विफलता ने बीजेपी को स्थानीय मुद्दों पर ध्यान केंद्रित करने के लिए प्रेरित किया.

ये हैं बीजेपी के चुनावी मुद्दे

एकमात्र मुद्दा जो मतदाताओं के एक बड़े वर्ग को बीजेपी के पक्ष में ला सकता है, वो है 1731 अनाधिकृत कॉलोनियों में रहने वाले निवासियों को मालिकाना हक देने के लिए मोदी सरकार का नया अधिनियम. केंद्रीय आवास एवं शहरी विकास मंत्री हरदीप पुरी ने कहा कि इससे करीब 40 लाख लोगों को फायदा होगा. दिल्ली बीजेपी अध्यक्ष मनोज तिवारी ने वादा किया है कि अगर पार्टी सत्ता में आती है तो पानी और बिजली को 5 गुणा सस्ता कर दिया जाएगा. बीजेपी ने AAP सरकार के खिलाफ दिल्ली में पीने के पानी की गुणवत्ता को लेकर भी अभियान चलाया है.

कांग्रेस काटेगी 'आप' के वोट ?

AAP के वोटों में कटौती के लिए बीजेपी की उम्मीद कांग्रेस से है. जब जामिया में हिंसक विरोध प्रदर्शन के लिए AAP विधायक अमानतुल्ला खान का नाम आया, तो बीजेपी अध्यक्ष अमित शाह ने दिल्ली में 'टुकड़े-टुकड़े गैंग' का समर्थन करने के लिए कांग्रेस को दोषी ठहराया.

2019 के आम चुनाव में कांग्रेस को 22.5 % वोट मिले, लेकिन बीजेपी के लिए कम उम्मीद है कि कांग्रेस, आम आदमी पार्टी के वोट काटेगी. क्योंकि लोग राज्य और राष्ट्रीय चुनाव में अलग-अलग तरह से वोट देते हैं.

-राजीव राजन
विशेष संवाददाता, ईनाडू

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