नई दिल्ली: जामिया मिल्लिया इस्लामिया में हुई हिंसा को एक साल बीत गया है, लेकिन आज भी छात्रों के जहन में हिंसा का वह मंजर ताजा है. 15 दिसंबर को हुए प्रदर्शन को काबू पाने के लिए पुलिस द्वारा किए गए बल प्रयोग में 50 ज्यादा छात्र घायल हुए थे. वहीं प्रदर्शनकारियों पर कार्रवाई करते हुए कहा जाता है कि पुलिस के द्वारा लाइब्रेरी के बाहर आंसू गैस के गोले और लाइब्रेरी में पढ़ रहे छात्रों पर भी कार्रवाई की गई थी.
जामिया हिंसा का एक साल पूरा होने पर बड़ी संख्या में पुलिस मौजूद इस कार्रवाई में लाइब्रेरी में भी काफी नुकसान हुआ था. कहा जाता है कि पुलिस ने इस कार्रवाई के दौरान लाइब्रेरी में पढ़ रहे छात्रों को भी नहीं बख्शा था. वहीं लाइब्रेरी में हुई तोड़फोड़ के कारण किताबें जहां की तहां और जो छात्र पढ़ रहे थे उनके बैग सहित कई सामान इधर-उधर बिखरे पड़े. इन सबके चलते लाइब्रेरी करीब 3 महीने तक बंद थी. लेकिन लाइब्रेरी जब दोबारा खुली तो छात्रों के अंदर डर का वह भाव बैठा हुआ था और वह पहले की तरह की लाइब्रेरी में पढ़ने के लिए जाने से डर रहे थे.
एहतियात की तौर पर बड़ी संख्या में पुलिस मौजूद
जामिया मिल्लिया इस्लामिया परिसर बड़ी संख्या में एतिहाद के तौर पर दिल्ली पुलिस और सीआरपीएफ के जवान मौजूद है. पुलिस की ओर से लगातार इलाके में गश्त की जा रही है. वहीं कैंपस के गेट पर सिक्योरिटी गार्ड के साथ पुलिस भी मौजूद है.
15 दिसंबर को जानने की लाइब्रेरी में क्या हुआ था
जामिया मिल्लिया इस्लामिया में छात्रों का सीएए-एनआरसी के विरोध में कई दिनों से सेंट्रल कैंटीन पर विरोध प्रदर्शन चल रहा था. 13 दिसंबर को प्रदर्शनकारी छात्रों पर पुलिस ने प्रदर्शन को खूब पाने के लिए लाठी चार्ज किया. वहीं 15 दिसंबर को पुलिस कार्रवाई और सीएए-एनआरसी के विरोध में जामिया के आम नागरिकों के द्वारा संसद कूच करने का आव्हान किया गया.
इस दौरान बड़ी संख्या में प्रदर्शनकारियों ने मथुरा रोड तक को जाम कर दिया यातायात ठप हो गया था. वहीं प्रदर्शन उग्र हो गया था जिसके कारण देर शाम पुलिस ने प्रदर्शनकारियों पर कार्रवाई शुरू कर दी. 15 दिसंबर को हुई इस घटना के विरोध में आज ट्विटर पर ऑनलाइन प्रदर्शन होगा.