नई दिल्ली: आजकल लगभग हर किसी को गार्डनिंग करना पसंद है. कई लोग तो रोजाना घंटों बगीचे में बिताते हैं, लेकिन अक्सर देखा जाता है कि पेड़ पौधों के गिरे हुए पत्तों को लगभग हर कोई बेकार समझकर उन्हें जला या फेंक देता है. लेकिन दिल्ली में पांच युवाओं का एक समूह इन पत्तों को इकठ्ठा कर पौधों के लिए खाद बना रहा है. घर के कचरे से खाद बनाना तो आम बात है लेकिन पतझड़ के टूटे पत्तों को सार्वजनिक स्थानों से इकठ्ठा करके उनसे खाद बनाने से लोगों को पर्यावरण के प्रति प्रेरणा भी मिल रही है. हर साल यह खाद उन लोगों को दी जाती है जो पेड़ों से गिरे हुए पत्ते जमा करके संस्था को देते हैं. ऐसा करने वाले लोगों को सर्टिफिकेट दिया जाता है जिसे दिखाकर वे खाद प्राप्त कर सकेंगे. 'द समझ' नामक एनजीओ ने इसका नाम प्रोजेक्ट स्वर्णपात दिया है.
तीन साल पहले शुरू की पहल: 'द समझ' के फाउंडर आरजे रावत बताते हैं कि तीन साल पहले पांच लोगों के साथ मिलकर कनाट प्लेस, नई दिल्ली और दक्षिणी दिल्ली के क्षेत्रों से सार्वजनिक जगहों में पतझड़ के मौसम में गिरने वाले पत्तों को एकत्र करके काम शुरू किया था. धीरे-धीरे पांचों ने नेटवर्क बढ़ाया. कॉलेज के छात्रों को इससे जोड़ा. आज करीब 100 युवा दिल्ली के अलग-अलग क्षेत्रों में लोगों के पास जाकर उन्हें पत्तों को एकत्र करने के लिए प्रेरित कर रहे हैं. इस समय ये युवा जिले के जंगपुरा, भोगल और आश्रम क्षेत्र में लोगों के घरों से पत्तों को इकठ्ठा कर रहे हैं.
रावत बताते हैं कि अभी से जमा किए गए पत्तों से बरसात के मौसम तक खाद बनकर तैयार हो जाएगी. इससे पौधों को अच्छा स्वास्थ्य प्रदान होगा. खेती के लिए अच्छी गुणवत्ता वाले उर्वरक प्रदान करेगा, किसानों को अच्छी आय और पत्तियों को जलाने से होेने वाले प्रदूषण को काफी हद तक कम भी किया जाएगा.