नई दिल्ली:राजधानी दिल्ली में जहां एक तरफ नगर निगम के चुनावों को लेकर सियासी सुगबुगाहट तेज है. वहीं दूसरी तरफ लगातार बढ़ रहे डेंगू के मामले दिल्लीवासियों के सर का दर्द बना हुआ है. इस बीच निगम द्वारा जो ताजा रिपोर्ट जारी की गई है, उसके मुताबिक राजधानी में डेंगू के मामलों का आंकड़ा बढ़कर 52 हो गया है. जो 2017 के बाद सबसे ज्यादा है. बीते एक सप्ताह में दिल्ली में चार नए मामले डेंगू के दर्ज किए गए हैं, जिसमें से तीन मामलों को अभी तक ट्रेस नहीं किया जा सका है. पिछले साल मार्च के महीने तक राजधानी दिल्ली में महज छह डेंगू के मामले सामने आए थे, जो इस साल बढ़कर 52 हो गए हैं. अगर यही हालात रहे तो आने वाले दिनों में राजधानी में डेंगू का भयावह दौर वापस आ सकता है.
राजधानी दिल्ली में मच्छर जनित बीमारियों की वजह से हालात चिंताजनक है. पिछले साल (2021) मार्च के महीने तक डेंगू के महज छह मामले सामने आए थे, जबकि इस साल अब तक डेंगू के कुल 52 केस सामने आ चुके हैं, जो कि 2017 के बाद सबसे ज्यादा है. राजधानी के हालातों का अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि नए साल की शुरुआत से लेकर अब तक महज फरवरी माह के एक हफ्ते को छोड़ दिया जाए तो हर हफ्ते में डेंगू के मामले सामने आए हैं और डेंगू के ऊपर लगाम लगाने में दिल्ली की प्रशासनिक और सिविक इकाइयां पूरी तरीके से नाकाम साबित हुई हैं.
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बीते सप्ताह भी राजधानी दिल्ली में चार डेंगू के मामले सामने आए हैं. जिसमें एक मामला साउथ एमसीडी के वेस्ट जोन का है. जबकि तीन मामले अभी तक नगर निगम के द्वारा ट्रेस नहीं किए जा सके हैं. आमतौर पर मार्च के महीने में जब गर्मियों की शुरुआत हो जाती है, तो डेंगू के मामले सामने आना बंद हो जाते हैं. लेकिन राजधानी दिल्ली में अभी भी ड़ेंगू के मामले सामने आ रहे हैं जो बेहद चिंताजनक है.
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गौरतलब है कि बीते साल दिल्ली के अंदर कुल 9613 डेंगू के मामले सामने आए थे. जबकि 23 लोगों की दुखद मृत्यु में डेंगू की वजह से हो गई थी. वहीं इस साल अब तक 52 नए मामले डेंगू के सामने आ चुके हैं. हालांकि किसी की मृत्यु की खबर अभी तक सामने नहीं आई है. वहीं दूसरी तरफ नगर निगम में शासित बीजेपी की सरकार का कहना है कि दिल्ली सरकार के द्वारा सहयोग नहीं किए जाने के चलते डेंगू के मामले लगातार बढ़ रहे हैं इसके लिए दिल्ली सरकार को जिम्मेदार ठहरा रहे हैं. वहीं आम आदमी पार्टी की दिल्ली सरकार नगर निगम में बीजेपी की सरकार और उसके पार्षदों को जिम्मेदार ठहरा रही है. जबकि हकीकत यह है कि राजधानी दिल्ली में मच्छर जनित बीमारियों पर लगाम लगाने के मद्देनजर प्रशासनिक और सिविक एजेंसियों के द्वारा किसी भी तरह से अपनी जिम्मेदारियों को भलीभांति तरीके से नहीं निभाया गया है. न तो राजधानी दिल्ली में बड़ी ड्रेन/नालों को पूरी तरीके से साफ किया गया है और न ही छोटे नालों की सफाई अच्छे से हो पाई है. जिसकी वजह से मच्छरों की संख्या लगातार बढ़ रही है और डेंगू के मामले सामने आ रहे हैं. हालांकि राहत भरी बात यह है कि दिल्ली के अंदर मलेरिया और चिकनगुनिया के नए मामले बीते 2 हफ़्तों से सामने नहीं आये हैं और इन दोनों ही महामारी की रफ्तार अभी राजधानी दिल्ली में थमी हुई है.
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