नई दिल्ली: चालू वित्त वर्ष (2023-24) के नौ महीने अब पूरे होने वाले हैं. तमाम सरकारें नए वित्त वर्ष के बजट बनाने की तैयारी में जुट गई हैं. दिल्ली की सत्ता में काबिज होने के बाद आम आदमी पार्टी सरकार प्रत्येक वर्ष मुनाफे का बजट पेश करती आई है. चालू वित्त वर्ष यानि वर्ष 2023-24 की बात करें तो, 22 मार्च 2023 को दिल्ली के तत्कालीन वित्त मंत्री कैलाश गहलोत ने 78 हजार आठ सौ करोड़ रुपये का बजट पेश किया था.
लेकिन चालू वित्त वर्ष की तीन तिमाही बीत जाने के बावजूद अभी तक दिल्ली सरकार के 49 विभाग अपने आवंटित बजट का 50 फीसद भी खर्च नहीं कर पाए हैं. यह जानकारी दिल्ली सरकार के वित्त विभाग के बजट निदेशक डीबी गुप्ता ने दी है.
दिल्ली सरकार के आठ विभागों में 10 फीसद भी नहीं हुआ बजट
दिल्ली सरकार के अधीन आने वाले आठ विभागों में अभी तक आवंटित बजट का 10 फीसद भी इस्तेमाल नहीं हुआ है. चालू वित्त वर्ष के अब 3 महीने शेष बचे हैं, ऐसे में आवंटित बजट का इस्तेमाल कैसे होगा यह बड़ा सवाल है. सीधे शब्दों में कहें तो सरकार आम लोगों की हितों, सुविधाओं को ध्यान में रखकर बजट तैयार करती है. दिल्ली में केजरीवाल सरकार ने अपने एजेंडे में सबसे ऊपर शिक्षा तो उसके बाद स्वास्थ्य को रखा है. चालू वित्त वर्ष के लिए शिक्षा निदेशालय को आवंटित बजट में से अब तक 66 फीसद इस्तेमाल हुआ है. वहीं स्वास्थ्य क्षेत्र में आवंटित बजट में से अब तक 55 फीसद खर्च हुआ है. दिल्ली के सबसे बड़े अस्पताल लोकनायक, जीबी पंत, दीनदयाल उपाध्याय जैसे अस्पतालों को आवंटित बजट में से 65-66 फीसद बजट खर्च हुआ है.
विधानसभा में भी उठा बजट का मुद्दा
सोमवार को दिल्ली विधानसभा का दो दिवसीय सत्र संपन्न हो गया. विधानसभा सत्र में वित्तीय मामलों को लेकर सबसे अधिक आवाज़ उठी. वित्त मंत्री आतिशी से लेकर तमाम विधायकों ने वित्त विभाग की कार्य प्रणाली पर सवाल भी उठाए. इसी बीच बीजेपी के विधायक व विधानसभा में नेता विपक्ष रामवीर सिंह बिधूड़ी ने अतारांकित प्रश्न पूछकर दिल्ली सरकार के विभिन्न विभागों में कितनी-कितनी धनराशि का प्रावधान किया गया है, और अभी तक विभागों ने कितना खर्च किया इसकी जानकारी मांगी. इसके जवाब में वित्त विभाग के बजट प्रभाग के निदेशक डीबी गुप्ता ने चालू वित्त वर्ष में 1 अप्रैल से 7 दिसंबर तक विभागों को आवंटित बजट और खर्च की जो जानकारी दी, उसके अनुसार दिल्ली सरकार के अधीन आने वाले कुल 127 विभागों में से 49 विभाग अपने आवंटित बजट का 50 फीसद भी खर्च नहीं कर पाए हैं.
विधानसभा अध्यक्ष ने संविधान का दिया हवाला