नई दिल्ली:भारत में वर्षों बाद किसी नदी को बचाने के लिए जनसैलाब उमड़ने को तैयार है. इसका नजारा 4 जून की सुबह 6:30 बजे यमुना तट पर लगने वाली यमुना संसद में दिखेगा. एक लाख से ज्यादा लोग मिलकर वजीराबाद से कालिंदी कुंज के बीच मानव श्रृंखला बनाएंगे. इस दौरान यमुना को अविरल और निर्मल रखने की शपथ लेंगे. जाहिर तौर पर समाज खुद से यमुना के लिए अपनी जिम्मेदारी लेने को तैयार दिखेगा. यमुना संसद इसके बाद से यमुना के साफ होने तक सक्रिय रहेगी.
राजनीतिक और सामाजिक जीवन के अपने सात दशकों के अनुभव के आधार पर राष्ट्रवादी चिंतक केएन गोविंदाचार्य ने बताया कि जैसा मैं देख रहा हूं कि 1916 में महामना पंडित मदन मोहन मालवीय की गंगा को बांध मुक्त करने के सफल आंदोलन के बाद का यह पहला आंदोलन है, जिसमें अपनी निजी धार्मिक-राजनीतिक निष्ठा को भुलाकर दिल्ली-एनसीआर का पूरा समाज सक्रिय भागीदार बना है. जन आंदोलन का मूल चरित्र यही है. स्वतंत्र भारत में बड़े राजनीतिक आंदोलन हुए हैं, लेकिन सामाजिक-पर्यावरणिक मुद्दे पर इतना बड़ा मोबलाइजेशन नहीं हुआ है.
प्राथमिक तौर पर 4 जून को दिल्ली के लोग विश्व पर्यावरण दिवस पर पांच ऐसे कदम उठाने का संकल्प लेंगे, जिसका यमुना के स्वास्थ्य पर दूरगामी असर पड़ेगा. यह 5step4yamuna का रहेगा. इस काम को हर यमुना प्रेमी अपने स्तर पर करेगा. आगे यमुना संसद की एक्सपर्ट टीम उन विकल्पों की पहचान कर रही है, जिसमें पूरा समाज एक साथ मिलकर जमीनी बदलाव ला सके. दूसरी तरफ सरकार जो-जो वायदे कर रही है, यमुना संसद उस पर भी निगरानी रखेगी और जरूरत के हिसाब से सलाह देगी.