नई दिल्ली:दिल्ली में यमुना किनारे रविवार सुबह सबसे बड़ी मानव शृंखला लगने वाली है. वजीराबाद से कालिंदी कुंज तक करीब 22 किमी बनने वाली मानव शृंखला में दिल्ली-एनसीआर के यमुना प्रेमी शामिल होंगे. 'लोक संसद' के संयोजक रविशंकर तिवारी ने बताया कि यमुना को अविरल और निर्मल रखने की शपथ ली जाएगी. कार्यक्रम में सभी राजनीतिक दल, सामाजिक संगठन, व्यापारिक संस्थाएं, स्कूल और कॉलेज, आरडब्ल्यूए का आह्वान किया गया है. इसमें एक लाख से अधिक लोगों के इकट्ठा होंगे. जाहिरा तौर पर समाज खुद से यमुना के लिए अपनी जिम्मेदारी लेने को तैयार दिखेगा.
राष्ट्रवादी चिंतक केएन गोविंदाचार्य कहते हैं कि प्राथमिक तौर पर 4 जून को हम दिल्ली के लोग विश्व पर्यावरण दिवस के मौके पर पांच जून को पांच ऐसे कदम उठाने का संकल्प लेंगे, जिसका यमुनाके स्वास्थ्य पर दूरगामी असर पड़ेगा. आगे यमुना संसद की एक्सपर्ट टीम उन विकल्पों की पहचान कर रही है, जिसमें पूरा समाज एक साथ मिलकर जमीनी बदलाव ला सके. दूसरी तरह सरकारें जो-जो वायदे कर रही, यमुना संसद उस पर निगरानी भी रखेगी और जरूरत के हिसाब से सलाह देगी. मानव शृंखला को छोटी-बड़ी करीब 1800 संस्थाओं का समर्थन पत्र मिला है. इसमें किसी ने 10 तो किसी ने 100, 1000, 10,000 लोगों तक लाने का वादा किया है.
यमुना माई के सम्मान में सेवक मैदान में:दिल्ली सफाई कर्मचारी आयोग के चेयरमैन संजय गहलोत ने कहा कि यमुना की सम्मान में यमुना सेवक मैदान में आ गए हैं. सभी धर्म प्रेमियों, अध्यापकों, प्रोफेसर, इंजीनियर, राजनीतिज्ञ, विद्यार्थी, व्यवसायी, ट्रेड यूनियन लीडर्स, कर्मचारी, अधिकारी, स्वयं सेवी संगठन, रेजिडेंट वेलफेयर एसोसिएशन और गौ सेवकों से आह्वान किया है कि मानव श्रृंखला में शामिल हो.
क्या है तैयारियां? :बेहतर नियोजन के लिए वजीराबाद से कालिंदी कुंज के बीच आठ प्वाइंट (वजीराबाद, उस्मानपुर, पुराना लोहे का पुल, गीता कालोनी, आईटी़ओ, निजामुद्दीन, डीएनडी, कालिंदी कुंज) बनाए गए हैं. इसमें आईटीओ और कालिंदी कुंज पश्चिमी तट और बाकी सब पूर्वी तट पर होंगे. हर प्वाइंट पर सौ-सौ वालेंटियर की टीम लगाई गई है. इसके साथ ही सरकार से सिविल डिफेंस कर्मी, वोट और गोताखोर भी मौजूद रहेंगे. आपके माध्यम से यमुना संसद की पूरी दिल्ली को यमुना तट पर आने का निमंत्रण देने के साथ सबसे अपील भी है कि कोई यमुना प्रेमी अपने साथ प्लास्टिक समेत किसी दूसरी चीज से भी बना कोई सामान लेकर न आए, जिसे यमुना के तट पर फेंकना पड़े.