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नॉर्थ एमसीडी में प्रॉपर्टी टैक्स के नाम पर हुआ 1400 करोड़ का घोटाला: दुर्गेश पाठक

आम आदमी पार्टी के निगम प्रभारी दुर्गेश पाठक ने आरोप लगाया है कि उत्तरी दिल्ली नगर निगम में प्रॉपर्टी टैक्स के 1400 करोड़ का कोई हिसाब किताब ही नहीं है.

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Published : Nov 1, 2020, 11:56 PM IST

Durgesh Pathak
दुर्गेश पाठक

नई दिल्ली: भाजपा शाषित निगम पर लगातार हमलावर आम आदमी पार्टी अब एक नए आरोप के साथ सामने आई है. आम आदमी पार्टी के निगम प्रभारी दुर्गेश पाठक ने उत्तरी दिल्ली नगर निगम पर 1400 करोड़ के भ्रष्टाचार का आरोप लगाया है. ये पैसे प्रॉपर्टी टैक्स से जुड़े हैं. आम आदमी पार्टी मुख्यालय में प्रेस कॉन्फ्रेंस के दौरान दुर्गेश पाठक ने कहा कि दिल्ली में प्रॉपर्टी टैक्स इकट्ठा करने का काम एमसीडी का है और इसमें बड़ा भ्रष्टाचार हो रहा है.

निगम प्रभारी दुर्गेश पाठक ने उत्तरी दिल्ली नगर निगम पर लगाए भ्रष्टाचार के आरोप

'12 लाख को कार्ड वितरित'

दुर्गेश पाठक ने कहा कि बीते कुछ सालों में उत्तरी दिल्ली नगर निगम ने करीब 12 लाख ऐसे लोगों को चिन्हित किया है, जिनसे हाउस टैक्स लेना होता है. उन्हें इससे जुड़ा यूपीआईसी कार्ड भी दिया गया है. अगर इन 12 लाख लोगों से मिलने वाले पैसे को सही तरीके से एमसीडी के मालखाने में जमा करा करा दिया जाए, तो एमसीडी को हर साल लगभग 2100 करोड़ रुपए टैक्स के रूप में मिलेंगे. लेकिन दुर्गेश पाठक ने बताया कि एमसीडी के ब्यौरे में 4 लाख लोगों से हाउस टैक्स वसूलने की बात है.

'भ्रष्टाचार का आरोप'

उन्होंने बताया कि इन करीब 4 लाख लोगों से हाउस टैक्स के रूप में मिलने वाले 700 करोड़ रुपए का हिसाब उत्तरी दिल्ली नगर निगम देता है, लेकिन बाकी बचे हुए 8 लाख लोगों के टैक्स का ब्यौरा नहीं मिलता है. दुर्गेश पाठक ने कहा कि इन 8 लाख लोगों का हाउस टैक्स करीब 1400 करोड़ रुपए बैठता है. सवाल यह है कि इन लोगों से मिलने वाले 1400 करोड़ रुपए कहां चले जाते हैं. दुर्गेश पाठक ने आरोप लगाया कि यह पैसा भ्रष्टाचार की भेंट चढ़ जाता है.

'जांच की मांग'

दुर्गेश पाठक ने कहा कि इसी भ्रष्टाचार के चलते एमसीडी के डॉक्टरों नर्सों और अन्य कर्मचारियों को वेतन तक नहीं मिल पा रहा है और अब तक करीब 24 हजार एमसीडी के सेवानिवृत्त कर्मचारियों को पेंशन तक नहीं मिल रही है. दुर्गेश पाठक ने कहा कि मैं आम आदमी पार्टी की तरफ से इसकी जांच की मांग करता हूं कि ये 14 हजार करोड़ रुपये कहां जाते हैं और क्यों उत्तरी दिल्ली नगर निगम इसका ब्यौरा नहीं देता.

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