नई दिल्ली:इन दिनों वसन्त विहार SDM डॉ नितिन शाक्या ने एक अभियान चला रखा है. ये अभियान है सड़कों या रेड लाइट पर भीख मांगने वाले बच्चे या फिर कोई समान और दुकानों पर काम करने वाले बच्चों का रेस्क्यू. आज भी ये अभियान भीकाजी फ्लाईओवर के नीचे मोती बाग फ्लाईओवर रेड लाइट पर चलाया गया, जहां से कुल 10 बच्चों का रेस्क्यू किया गया, जिसमें कुछ के मां-बाप भी शामिल थे. रेस्क्यू करने के बाद सभी बच्चों की एक्सपर्ट द्वारा काउंसलिंग कर चाइल्ड होम केयर भेज दिया गया.
वसन्त विहार SDM एक युवा प्रशासनिक अधिकारी होने के साथ-साथ एक डॉक्टर भी हैं. ये प्रशासनिक पदों पर अलग-अलग जगह काम कर चुके हैं. इन्हें लीक से हटकर और समाज के बीच में काम करने के लिए जाना जाता है. कोरोना काल में तो इन्होंने अभूतपूर्व योगदान दिया था. आज कल प्रशासनिक कामों के अलावा SDM ने हर बच्चे को शिक्षित करने का बीड़ा उठाया हुआ है. उन्होंने ऐसे बच्चों को शिक्षित करने का विचार बनाया है, जिन्होंने कभी स्कूल का मुंह तक नहीं देखा और मज़बूरी में या फिर अपने मां-बाप का पेट पालने के लिए भीख मांगते हैं या रेड लाइट पर कोई करतब या सामान बेचकर पैसा कमाते हैं या फिर किसी दुकान या ढाबे पर काम करते हैं.
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SDM डॉ नितिन शाक्या उन बच्चों का रिस्कीयू कर चाइल्ड होम केयर भेजने का काम कर रहे हैं, जहां उन्हें रहने खाने और अच्छी शिक्षा की व्यवस्था की गयी है. कई बच्चे तो फ्लाई ओवर के नीचे या फुटपाथ पर अपने मां बाप के साथ रहते हैं और वहीं भीख मांगकर या कोई काम कर पैसा कमाते हैं. ऐसे मां बाप को भी साथ में ले जाया जा रहा है, जहां उन्हें ट्रेनिंग देकर अपना रोजगार करने की शिक्षा दी जा रही है.
डॉ नितिन शाक्या का कहना है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का कहना है कि शिक्षा का अधिकार सभी को मिले. इसी के तहत ये अभियान चलाया जा रहा है कि हर बच्चा शिक्षित हो. जिसके लिए इस तरह का अभियान लगातार जारी रहेगा. उन्होंने बताया कि महिला बाल आयोग की तरफ से बार-बार शिकायत आ रही थी कि दिल्ली मे बहुत ज्यादा छोटे-छोटे बच्चे सड़कों या रेड लाइट पर भीख मांगते हैं या बाजारों में समान बेचते या काम करते हुए नजर आ रहे हैं. इनमे कुछ बच्चे गलत कामों में भी संलिप्त हैं.
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ऐसे बच्चों को चिन्हित कर उन्हें चाइल्ड होम केयर मे रखकर शिक्षित किया जाए, जिसके तहत ये अभियान चलाया जा रहा है. यह अभियान तब तक जारी रहेगा जब तक एक भी बच्चा सड़कों या बाजारों मे दिखाई न दे. उन बच्चों के मां-बाप का भी रेस्क्यू किया जायेगा, जो अपने बच्चों से इस तरह का काम कराते हैं. उन्हें भी ट्रेनिंग देकर रोजगार कराया जाएगा.