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'फिर नींद उड़ गई मेरी ये सोचकर कि जवानों का वो खून मेरी नींद के लिए था'

नई दिल्ली/गाजियाबाद: गुस्सा, आक्रोश, दर्द, नम आंखें और कभी ना भर सकने वाले जख्म. 14 फरवरी, 2019. सुबह से प्यार की बातें हो रही थी और अचानक 3 बजकर 20 मिनट पर 40 फरिश्ते हमें प्यार का कर्जदार बनाकर हमेशा-हमेशा के लिए चले गए. देश रोया. देशवासी रोए. पहाड़, आकाश, बादल, फसलें और वो ताबूत भी रोए जिनमें देश के वीर जवानों के पार्थिव शरीर को राजधानी लाया गया.

आतंकियों के खिलाफ गाजियाबाद के लोगों में आक्रोश

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Published : Feb 16, 2019, 4:34 AM IST

हिंदुस्तान की शराफत का ये सिला दिया आतंकी आदिल अहमद डार ने. देश में खौफ पैदा करने के लिए कायराना फियादीन हमला किया गया, लेकिन वो बुजदिल भूल गए कि-

"ना डरता ना झुकता ये हिंदुस्तान हमारा है, कश्मीर हमारा है... अमर शहादत को प्राप्त वो जवान हमारा है. आंख उठाकर जो देखा तूने, तेरी राख उड़ेगी हवाओं में... बाल भी बांका ना होगा हमारा और तेरा नामो निशान नहीं रहेगा फिजाओं में."

देश गुस्से में है. जिस मकसद से ये हमला किया गया वो डर, ख़ौफ, भय जैसा कहीं कुछ नज़र नहीं आ रहा. हर तरफ आग है... आग बदले की, आग आतंकियों के लहू को पानी कर देने की, आग बच्चे-बच्चे की आंखों में पाकिस्तान के पालतू जैश-ए-मोहम्मद के लिए कब्रिस्तान बनाने की.

'हमारे शरीर से खून की एक-एक बूंद ले लो, बस हमें बदला चाहिए'

देश एक है, राजनीतिक दलों ने जिस तरह की एकता दिखाई है, उससे पता चलता है कि आपसी रिश्ते जैसे भी हों, लेकिन अगर कोई हमारे देश की ओर आंख उठाकर देखेगा तो आंखों के साथ-साथ उसके अंश और वंश को खाक कर दिया जाएगा.

देश का कोना-कोना छलनी है और बदला लेने के लिए आतुर भी. दिल्ली से सटे गाजियाबाद में लोंगो का रोष रुआंसी, लेकिन बुलंद आवाज में बाहर आया. लोगों ने कहा कि हमें सर चाहिए हर उस आतंकी का जो जिम्मेदार है खाली गोद, सूनी मांग और उन मासूमों की जिंदगी में दर्द भर देने का जिन्होंने बस अभी दुनिया देखने के लिए आंखें खोली ही थी. गाजियाबाद में जनसैलाब उमड़ा और सिर्फ एक ही मांग थी- एक के बदले 10 और 40 के बदले 440.

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