नई दिल्ली:देश की बढ़ती जनसंख्या एक बड़ी समस्या के रूप में आ रही है. सरकार लगातार परिवार नियोजन को लेकर जागरुकता अभियान चलाती रहती है. पूरी दुनिया में 26 सितंबर को विश्व गर्भनिरोधक दिवस मनाया जाता है. लोगों को जागरूक करने की कोशिश की जाती है. इसके लिए स्वास्थ्य केंद्रों और अस्पतालों में तमाम तरह के विकल्प हैं. साथ ही हर हफ्ते जागरुकता अभियान चलाए जाते हैं. हालांकि, हमारे समाज में नसबंदी को लेकर कई तरह के भ्रम भी फैले हैं, जिनको लेकर लगातार जागरुकता अभियान चलाया जाता है.
इसमें भी महिलाओं ने पुरुष को छोड़ा पीछे:गाजियाबाद के सीएमओ बताते हैं कि महिलाएं ज्यादा सजग हैं. परिवार नियोजन को लेकर लगातार विभिन्न प्रकार के कार्यक्रम चलाए जाते हैं. तमाम कोशिश के बाद भी पुरुषों में नसबंदी को लेकर कोई खास उत्साह नहीं दिखाई देता है. या फिर यूं कहे की महिलाओं की तुलना में पुरुष ना के बराबर नसबंदी करवाते हैं. गाजियाबाद में महिलाओं की तुलना में केवल चार प्रतिशत पुरुषों ने ही नसबंदी करवाई है.
आंकड़ों की बात करें तो 1 अप्रैल से 30 अगस्त तक गाजियाबाद में कुल 32 पुरुषों ने नसबंदी (नो स्केलपेल वेसेकटॉमी) कराई है. इसी अवधि के बीच 778 महिलाओं ने नसबंदी (ट्यूबल लिटिगेशन) कराई है. दोनों नसबंदी की स्थायी प्रक्रिया है. इसी समय में 3064 महिलाओं को अंतगर्भाशयी गर्भनिरोधक उपकरण लगए गए हैं. इसके अलावा 3018 महिलाओं को प्रस्वोत्तर अंतगर्भाशयी गर्भनिरोधक उपकरण (पीपीआईयूसीडी) और 3568 महिलाओं को अंतरा इंजेक्शन दिए गए हैं.
जनसंख्या का अर्थव्यवस्था से संबंधःCA वरुण मिश्रा बताते हैं किसी भी देश की अर्थव्यवस्था का सीधा संबंध उसकी जनसंख्या से होता है. यदि किसी परिवार में बच्चों की संख्या अधिक होती है तो उसे परिवार के मुखिया के लिए उसे परिवार की मूलभूत सुविधाओं को पूरा करना मुश्किल होता है या फिर यूं कहें की मूलभूत सुविधाओं का अभाव हो जाता है. विशेषकर शिक्षा और स्वास्थ्य. अर्थव्यवस्था को मजबूत करने में शिक्षा का एक अहम योगदान होता है. किसी भी देश की जनसंख्या बढ़ती है तो उसे देश में विभिन्न प्रकार की जरूरत की चीजों की डिमांड भी बढ़ जाती है. कई बार चीजों को दूसरे देशों से इंपोर्ट करना पड़ता है. इसकी वजह से देश का रिजर्व घटता है. किसी भी देश की जनसंख्या उसकी अर्थव्यवस्था को सीधे तौर पर प्रभावित करती है.
जानें, विश्व गर्भनिरोधक दिवस का इतिहास:विश्व गर्भनिरोधक दिवस सबसे पहली बार 2007 में मनाया गया था. इस दिवस को मनाने की कवायद 2006 में शुरू हुई थी. इस दिन वर्ष 2007 में दुनिया भर की 7 परिवार नियोजन एजेंसियों ने इसको मनाने की शुरूआत की थी. हर साल इस दिवस को अलग-अलग थीम के साथ मनाया जाता है और इसके द्वारा दुनिया को इसके महत्ता समझाने का प्रयास किया जाता है. यह दिवस एक हिस्सा है उस विश्वव्यापी अभियान का जो इस दुनिया में यह संदेश पहुंचाती है कि हर गर्भ वांछित होना चाहिए.