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सड़क पर अकेली बैठी बुज़ुर्ग विधवा महिला, बोली- मुझे घर भेज दो

हजारों प्रवासी मजदूर लॉकडाउन में अपना रोजगार खो चुके हैं. दो वक्त की रोटी को तरस रहे लोग घर जाने के लिए सड़कों पर भटक रहे हैं. दिल्ली के नजफगढ़ की रहने वाली बुजुर्ग महिला सुनीता रेहडी-पटरी लगाकर कुछ पैसे कमा लिया करती थी. लेकिन लॉकडाउन सुनीता पर मुसीबतों का पहाड़ बनकर टूटा है. किराया ना देने के कारण मालिक ने उनको घर से निकाल दिया.

woman migrant worker crying to ask to send home
सड़क पर अकेली बैठी बुज़ुर्ग विधवा महिला

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Published : May 20, 2020, 12:20 PM IST

नई दिल्ली: देशभर में लॉकडाउन का चौथा चरण शुरू हो चुका है, लेकिन अभी भी प्रवासी मजदूरों का पलायन जारी है. प्रवासी मजदूरों की लगातार दिल दहला देने वाली तस्वीर सामने आ रही हैं. प्रवासी मजदूर अभी भी सड़कों पर भूखे प्यासे तपती गर्मी में बैठे हुए हैं. हालांकि सरकारों की ओर से प्रवासी मजदूरों को उनके घरों तक पहुंचाने के लिए इंतजाम तो किए जा रहे हैं, लेकिन अभी भी भारी तादाद में प्रवासी मजदूर सड़कों पर दिखाई दे रहे हैं.

सड़क पर अकेली बैठी बुज़ुर्ग विधवा महिला

घर जाने के लिए तरस रही बुजुर्ग महिला


दिल्ली के नजफगढ़ की रहने वाली बुजुर्ग महिला सुनीता रेहडी-पटरी लगाकर कुछ पैसे कमा लिया करती थी. जहां से उनकी दो वक्त की रोटी का इंतजाम हो जाता था. लेकिन लॉकडाउन सुनीता पर मुसीबतों का पहाड़ बनकर टूटा है. किराया ना देने के कारण मालिक ने उनको घर से निकाल दिया. जिसके बाद वो आनंद विहार पर आकर बैठ गई. इस उम्मीद में यहां से कोई बस मिल जाएगी और वो अपने घर जो कि गोंडा में है वहां पहुंच पाएंगी.

खत्म हो गया है आमदनी का सहारा


उनके पति का 3 वर्ष पहले देहांत हो गया था. अब बुढ़ापे में उनका साथ देने वाला कोई नहीं बचा है. ऐसे में घर जाने के लिए साधन का इंतजाम ना होने के कारण वो अपनी बेबसी पर रो रही है. ये कहानी केवल सुनीता ही नहीं बल्कि हजारों प्रवासी मजदूरों की है जो कि लॉकडाउन में अपना रोजगार खो चुके हैं. दो वक्त की रोटी को तरस रहे हैं और घर जाने के लिए सड़कों पर भटक रहे हैं. सरकार की ओर से प्रवासी मजदूरों को घर भेजने के लिए किए गए इंतजाम नाकाफी नजर आ रहे हैं.

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