नई दिल्लीःआज से चैत्र माह की शुरुआत हो गई है. चैत्र में कई प्रमुख व्रत त्योहार हैं. चैत्र माह शुरू होते ही व्रत और त्योहारों का सिलसिला भी शुरू हो जाएगा. चैत्र (Festivals in Chaitra Month 2023) का पहला व्रत संकष्टी चतुर्थी है, जो 11 मार्च को पड़ रहा है. चैत्र महीने में कई प्रमुख व्रत और त्योहार आते हैं. आइए बताते हैं कि चैत्र महीने में आने वाले प्रमुख व्रत-त्योहार और महत्व.
० 9 मार्च, गुरुवार: भाई दूज
० 11 मार्च, शनिवार: संकष्टी चतुर्थी
० 12 मार्च, रविवार: रंग पंचमी
० 14 मार्च, मंगलवार: शीतला सप्तमी
० 15 मार्च, बुधवार: मीन संक्रांति
० 15 मार्च, बुधवार: खरमास शुरू
० 18 मार्च, शनिवार: पापमोचिनी एकादशी
० 19 मार्च, रविवार: प्रदोष व्रत
० 20 मार्च, सोमवार: मासिक शिवरात्रि
० 21 मार्च, मंगलवार: चैत्र अमावस्या
० 22 मार्च, बुधवार: चैत्र नवरात्रि
० 22 मार्च, बुधवार: हिंदू नववर्ष शुरू
० 22 मार्च, बुधवार: गुड़ी पड़वा, झूलेलाल जयंती
० 22 मार्च, बुधवार: झूलेलाल जयंती
० 23 मार्च, गुरुवार: चेटी चंड
० 24 मार्च, शुक्रवार: मत्स्य जयंती
० 25 मार्च, शनिवार: विनायक चतुर्थी
० 25 मार्च, शनिवार: लक्ष्मी पंचमी
० 29 मार्च, बुधवार: चैत्र नवरात्रि अष्टमी
० 30 मार्च, गुरुवार: राम नवमी
० 31 मार्च, शुक्रवार: चैत्र नवरात्रि समाप्त
० 3 अप्रैल (सोमवार): प्रदोष व्रत
० 5 अप्रैल (बुधवार): अन्वाधान
० 6 अप्रैल (गुरुवार): हनुमान जयंती, चैत्र पूर्णिमा, इष्टी
चैत्र व्रत-त्योहार के महत्वः
० 9 मार्च (गुरुवार)- भाई दूजःभाई दूज का पर्व होली के दूसरे दिन मनाया जाता है. इस वर्ष भाई दूज का पर्व 9 मार्च को मनाया जाएगा. भाई दूज का पर्व बहन-भाई के प्रेम का प्रतीक है.
० 11 मार्च (शनिवार)- संकष्टी चतुर्थी ःसंकष्टी चतुर्थी के दिन भगवान गणेश से संकट निवारण के लिए प्रार्थना की जाती है. मान्यता है कि संकष्टी चतुर्थी के दिन विधि विधान से भगवान गणेश की पूजा करने से कष्ट दूर होते हैं.
० 12 मार्च (रविवार)- रंग पंचमीःरंगपंचमी के दिन को देवता होली का पर्व मनाते हैं. रंग पंचमी के दिन आसमान में गुलाल फेंकने की मान्यता है. गुलाल जब वापस लोगों पर गिरता है तो इससे लोगों के पाप कम होते हैं. उनके जीवन में सकारात्मकता आती है.
० 14 मार्च (मंगलवार)- शीतला सप्तमीःसनातन धर्म में शीतला सप्तमी का विशेष महत्व बताया गया है. शीतला सप्तमी के दिन पूरे विधि-विधान के साथ माता शीतला की पूजा की जाती है. शीतला सप्तमी का व्रत रखने से रोगों से छुटकारा मिलता है.
० 18 मार्च (शनिवार)- पापमोचिनी एकादशीःसनातन धर्म में एकादशी के दिन को बेहद पवित्र माना गया है. पापों को नष्ट करने के लिए पापमोचनी एकादशी का व्रत रखने का काफी महत्व है. पापमोचनी एकादशी का व्रत रखने से पापों का नाश होता है. साथ ही सुखी जीवन की प्राप्ति होती है.
०21 मार्च (मंगलवार)- चैत्र अमावस्याःचैत्र महीने के कृष्ण पक्ष की अंतिम तिथि को चैत्र अमावस्या कहते हैं. चैत्र अमावस्या के दिन स्नान-दान का काफी महत्व है.
22 मार्च (बुधवार)- हिंदू नववर्ष शुरूःचैत्र माह की प्रतिपदा से हिंदू नववर्ष की शुरुआत होती है. अंग्रेजी नववर्ष की शुरुआत की तारीख फिक्स होती है, लेकिन हिंदू नव वर्ष की तारीख फिक्स नहीं होती. हिंदू नव वर्ष की तारीख हर साल बदलती रहती है.
० 29 मार्च (बुधवार)- चैत्र नवरात्रि अष्टमीःचैत्र नवरात्रि के दौरान नौ दिन मां दुर्गा के विभिन्न स्वरूपों की पूजा अर्चना की जाती है. नवरात्रि में अष्टमी-नवमी का विशेष महत्व होता है.
० 30 मार्च (गुरुवार)- राम नवमीःरामनवमी के दिन भगवान राम का जन्म हुआ था. चैत्र महीने के शुक्ल पक्ष की नवमी तिथि को राम नवमी का पर्व मनाया जाता है. रामनवमी को राम जन्मोत्सव के रूप में दुनिया भर में मनाया जाता है.
० 3 अप्रैल (सोमवार): प्रदोष व्रतःसोमवार भगवान शिव का बहुत प्रिय दिन है. प्रदोष व्रत के दिन शिव पूजा का काफी महत्व है. सोम प्रदोष का व्रत करने से भगवान शिव की कृपा बरसती है और रुके हुए कार्य पूर्ण होते हैं.
० 6 अप्रैल (गुरुवार): हनुमान जयंती, चैत्र पूर्णिमा, इष्टीःसनातन धर्म में चैत्र पूर्णिमा का विशेष महत्व है. इस वर्ष चैत्र पूर्णिमा 6 अप्रैल, गुरुवार को है. चैत्र पूर्णिमा के दिन भगवान हनुमान की जयंती भी मनाई जाती हैं. चैत्र पूर्णिमा के दिन पवित्र नदी में स्नान, दान आदि करने से कष्टों का नाश होता है.
नोटः जानकारी धार्मिक मान्यताओं पर आधारित है. ईटीवी भारत इसकी पुष्टि नहीं करता.