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गांव को गोद ले भूल गए सांसद साहब, पानी की बूंद-बूंद के लिए तरस रहे लोग

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Published : Apr 11, 2019, 4:54 PM IST

पूर्वी दिल्ली लोकसभा क्षेत्र से बीजेपी के महेश गिरी सांसद हैं. उन्होंने इस लोकसभा के चिल्ला गांव को सांसद आदर्श ग्राम योजना के तहत गोद लिया था, लेकिन वे इसका विकास करना भूल गए. आज हालात ये हैं कि पूरा गांव रोज सुबह से ही पानी के लिए लाइन में लग जाता है.

पानी के लिए हाहाकार

नई दिल्ली: ये न तो महाराष्ट्र का लातूर है और न ही उत्तर प्रदेश या मध्य प्रदेश का बुंदेलखंड, ये व्यथा कथा है राजधानी दिल्ली के एक गांव की जिसकी पहचान सांसद आदर्श ग्राम योजना से भी जुड़ी है, लेकिन हकीकत ये है कि यहां के लोगों को हर दिन घण्टों पानी के इंतजार में खड़ा होना पड़ता है.

बूंद-बूंद को तरसा चिल्ला गांव

गर्मी में विकराल हुई समस्या
राजधानी का नाम आते ही सबसे पहले जो ख्याल मन में आता है वो सुख सुविधाओं और संपन्नता का होता है. देश के किसी भी सुदूर गांव में स्थानीय समस्याओं से जूझ रहे व्यक्ति के लिए दिल्ली की पहचान यहां का चकाचौंध ही होगी, लेकिन इसे दुर्भाग्य ही कहेंगे कि पानी की किल्लत ने राजधानी दिल्ली में रह रहे लोगों को भी लातूर और बुंदेलखंड जैसे सूखाग्रस्त इलाकों के समकक्ष ला खड़ा किया है.

रोज पानी के लिए जद्दोजहद

पानी के लिए मचा त्राहिमाम
दिल्ली के कई इलाके आज पीने के पानी के लिए टैंकरों पर निर्भर हैं. ऐसा ही एक इलाका है, पूर्वी दिल्ली का चिल्ला गांव. इत्तेफाक से इसे स्थानीय सांसद ने गोद भी लिया है, लेकिन फिर भी पानी की किल्लत को दूर करने में इस गांव की पहचान कारगर नहीं बन सकी. सांसद के इस आदर्श ग्राम की जमीनी पड़ताल करने जब ईटीवी भारत की टीम पहुंची तो राजधानी में पानी के लिए त्राहिमाम कर रहे लोगों से सामना हुआ.

दिन भर पानी का इंतजाम
हर दिन लोग अपने कामों में लग जाते हैं, लेकिन चिल्ला गांव के लोगों के लिए पूरे दिन के लिए पीने के पानी की व्यवस्था करना दिन का सबसे बड़ा काम है. सुबह 8 बजे से लाइन में लग कर अपनी बारी का इंतजार करना और फिर टैंकर आने के बाद मची भगदड़ में लड़ाई झगड़ा करते हुए भी अपना डब्बा पानी से भर लेना इनके लिए किसी जीत से कम नहीं होता.

छोटे टैंकर ने बढ़ाई समस्या
इसमें ऋषि देव प्रसाद जैसे दिव्यांग भी हैं, जो अपनी साइकिल पर हर दिन 2 बोतल लेकर आते हैं और हर दिन उनके पानी की व्यवस्था किसी के रहमो- करम पर निर्भर करती है. अगर किसी दिन सहायता नहीं मिली तो फिर खाली हाथ लौटना पड़ता है और उधार के पानी से दिन काटना पड़ता है. चिल्ला गांव में अभी की समस्या और भी विकराल है, क्योंकि अभी यहां हर दिन छोटा टैंकर आता है.

शिकायत पर सुनवाई नहीं
ग्रामीण विक्रम दत्त शर्मा बताते हैं कि पहले बड़ा टैंकर आता था, लेकिन अब काफी दिनों से छोटा टैंकर आ रहा है. ग्रामीणों ने बताया कि उन्हें कहा गया कि बड़ा टैंकर फिटनेस के लिए गया है, इसलिए छोटा टैंकर भेजा जा रहा है. ये टैंकर गांव वालों की जरूरत और संख्या के सामने मामूली है. गांव वाले कई बार इसे लेकर शिकायत कर चुके हैं कि या तो बड़ा टैंकर भेजा जाए या फिर दो छोटे टैंकर भेजे जाएं, लेकिन इनकी शिकायत पर कोई सुनवाई नहीं हो रही.

सांसद तक नहीं पहुंची बात
जिस सांसद ने इनका गांव गोद लिया था, उन तक भी ग्रामीण अपनी शिकायत पहुंचा चुके हैं, लेकिन चुनावी नारों के जरिए पूर्वी दिल्ली को अपूर्व दिल्ली बनाने का सपना दिखाने वाले सांसद तक शायद पानी के अभाव में सूख चुके गले की आवाज नहीं पहुंच रही.

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