नई दिल्ली/गाज़ियाबाद:आज बाल दिवस है. भारत में हर साल 14 नवंबर को बाल दिवस (Children's Day) मनाया जाता है. इस दिन भारत के पहले प्रधानमंत्री पंडित जवाहरलाल नेहरू की जयंती मनाई जाती है. पंडित नेहरू को चाचा नेहरू के रूप में भी जाना जाता है, उनकों बच्चों से बेहद लगाव था. उन्होंने 20 नवंबर, 1954 को बाल दिवस मनाने की घोषणा की थी. पंडित जवाहरलाल नेहरू के निधन से पहले 20 नवंबर को बाल दिवस मनाया जाता था. लेकिन 27 मई 1964 को पंडित जवाहर लाल नेहरू के निधन के बाद बच्चों के प्रति उनके (Special education being given to disabled children) प्यार को देखते हुए सर्वसम्मति से यह फैसला हुआ कि अब से हर साल 14 नवंबर को चाचा नेहरू के जन्मदिवस पर बाल दिवस मनाया जाएगा.
बाल दिवस पर हम आपको कुछ ऐसे दिव्यांग बच्चों की कहानी सुनाएंगे, जिनके लिए जिंदगी मुश्किल जरूर है लेकिन लगन और मेहनत के दम पर वह अपनी जिंदगी को आसान और बेहतर बनाने में जुटे हुए हैं. गाज़ियाबाद के चौधरी मोड़ स्थित इंग्रहाम इंस्टीट्यूट आशा (Ingraham institute Asha school) विद्यालय में तकरीबन डेढ़ सौ से अधिक दिव्यांग बच्चे पढ़ते हैं. आशा विद्यालय में पढ़ने वाले बच्चों से मिलकर ऐसा लगता है जैसे इन बच्चों में ऊर्जा का एक संसार बसा हो. कक्षा में प्रवेश करते ही बच्चे साइन लैंग्वेज में नमस्कार करते हैं, इसके साथ ही अध्यापकों के पैर छूते हैं.
अध्यापिका ऋचा बल्लभ खुल्बे बताती हैं कि स्कूल में दिव्यांग बच्चे पढ़ते हैं, जो बोलने और सुनने में असमर्थ हैं. सुनने और बोलने में असमर्थता के चलते दिव्यांग बच्चों के लिए समाज से जुड़ने में काफी दिक्कतें आती हैं. जब दिव्यांग बच्चा स्कूल में आता है तो हम उसे सिखाते हैं कि कैसे उसे समाज के साथ जुड़ना है. बच्चों को स्कूल में साइन लैंग्वेज सिखाई जाती है. दिव्यांग बच्चों को सिखाने के लिए स्कूल में स्पेशल एजुकेटर मौजूद हैं. बच्चों के आइक्यू के टेस्ट लिए जाते हैं जिसके आधार पर यह निर्धारित किया जाता है कि बच्चा किस कक्षा में पढ़ने के लिए योग्य है.