नई दिल्लीः दिल्ली की सियासत में डेढ़ दशक पहले तक जहां पंजाबी और वैश्य समुदाय का दबदबा हुआ करता था. लेकिन आज जिसके पल्ले में पूर्वांचल के लोग हैं, सत्ता उसे ही मिलती है. यह बात राजनीतिक पार्टियां समझ चुकी है. एमसीडी चुनाव (MCD Election) के लिए प्रचार और प्रेस कांफ्रेंस का सिलसिला लगातार जारी है. चुनाव मैदान में उतरे प्रत्याशी चाहे पदयात्रा कर रहे हों या अपने वार्ड में सभा, वह भी दिल्ली में रह रहे पूर्वांचल के लोगों के साथ अच्छा खासा समय बिता रहे हैं. कुल मिलाकर सभी दलों के बड़े नेता पूर्वांचली मतदाताओं पर डोरा डालने में जुटे हैं.
दिल्ली की कुल मतदाताओं में 30 फीसदी से अधिक का पूर्वांचल के मतदाता हैं. पूर्वी उत्तर प्रदेश और बिहार के लोगों का 250 निगम वार्ड में से 60 से अधिक सीटों पर दबदबा है. इन सीटों पर पूर्वांचली मतदाताओं की निर्णायक भूमिका है. एमसीडी चुनाव में बीजेपी और आम आदमी पार्टी दोनों के बीच मुख्य मुकाबला माना जा रहा है और दोनों ही दल पूर्वांचलियों को लुभाने के लिए पूरा जोर लगाए हुए हैं. 20 नवंबर को जब आम आदमी पार्टी के संयोजक और मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल पहली बार निगम चुनाव के लिए पहाड़गंज में जनसभा करने पहुंचे तो वहां कांग्रेस के पूर्व सांसद और पूर्वांचल के चर्चित चहरे महाबल मिश्रा के आम आदमी पार्टी में आने से गदगद दिखाई दिए.
अगले ही दिन यानी सोमवार को प्रदेश बीजेपी मुख्यालय में निगम चुनाव की तैयारियों का जायजा लेने पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा पहुंचे तो पूर्वांचल मोर्चा को खास तौर पर उपस्थित रहने को कहा गया. पूर्वांचल मोर्चा ने छठ पूजा आयोजन समिति के पदाधिकारियों का भी जमावड़ा लगा दिया, जिसे देखते ही जेपी नड्डा भी छठ, ठेकुआ और बिहार से अपने नाते को बयां कर दिल्ली में रहने वाले पूर्वांचल के लोगों से वोट देने की अपील की.
नड्डा ने कहा, "बिहार में मेरा जन्म हुआ, वहां की छाप मेरे ऊपर है और मैं सौभाग्यशाली हूं कि मुझे गंगा किनारे 20 सालों तक छठ पूजा मनाने का मौका मिला. नड्डा ने कहा कि छठ का प्रसाद ठेकुआ मांगकर खाते थे. ठीक वैसे ही एक बार फिर पूर्वांचलवासियों से मैं 4 दिसंबर के लिए प्रसाद मांगने आया हूं."