नई दिल्ली/गाजियाबाद:देशभर में रक्षाबंधन का त्योहार बड़े धूमधाम के साथ मनाया जाता है. इस दिन बहनें, भाइयों को राखी बांधती हैं, लेकिन क्या आप जानते हैं कि भारत में ऐसा भी गांव है, जहां रक्षाबंधन का त्योहार नहीं मनाया जाता. दरअसल, गाजियाबाद के मुरादनगर स्थित सुराना गांव में पुरानी मान्यताओं के कारण रक्षाबंधन नहीं मनाया जाता. इसलिए हर दिन की तरह रक्षाबंधन भी यहां एक आम दिन होता है.
कभी नहीं बांधी राखी: सुराना गांव में रक्षाबंधन न मनाने के पीछे क्या कुछ वजह है, इसका पता लगाने के लिए ETV भारत की टीम गाजियाबाद शहर से करीब 35 किलोमीटर दूर सुराना गांव पहुंची. यहां पहुंचकर स्थानीय निवासियों से जाना कि लोग रक्षाबंधन क्यों नहीं मनाते. इनमें से 75 वर्षीय राज सिंह ने बताया कि उनकी दो सगी बहने हैं, लेकिन उन्हें कभी भी कलाई पर राखी बांधी गई. गांव में छाबड़िया गोत्र के लोग रोजगार की तलाश में गांव से बड़े शहरों में जाकर बस गए, लेकिन वे भी रक्षाबंधन नहीं मनाते.
मान्यताओं के पीछे यह है कहानी:गांव के लोगों के मुताबिक, 11वीं सदी में सुराना गांव को सोनगढ़ के नाम से जाना जाता था. सैकड़ों साल पहले राजस्थान से पृथ्वीराज चौहान के वंशज सोनगढ़ आए थे, जिन्होंने हिंडन नदी के किनारे डेरा डाला था. जब मोहम्मद गौरी को पता चला कि सोनगढ़ में पृथ्वीराज चौहान के वंशजों ने डेरा डाला है तो उसने सोनगढ़ पर आक्रमण करवा दिया, जिसमें पूरा गांव खत्म हो गया. आक्रमण के दौरान क्रूरता की सारी हदें पार करते हुए औरतों, बच्चों, बुजुर्ग और युवकों को हाथियों के पैरों तले रौंदा गया था.