नई दिल्लीः दिल्ली पुलिस के दिवंगत एएसआई शंभु दयाल मीणा ने अपने कर्तव्य के अनुरूप अनुकरणीय साहस और वीरता का प्रदर्शन किया और सर्वोच्च बलिदान दिया. अब उनके बेटे दीपक मीणा को दिल्ली पुलिस में एसआई नियुक्त किया गया है. एलजी ने अनुकंपा के आधार पर एएसआई शंभु दयाल मीणा के बेटे दीपक मीणा की नियुक्ति के लिए नियमों में ढील देने के लिए अपनी विशेष शक्तियों का उपयोग किया.
वीके सक्सेना का कहना है कि दिवंगत एएसआई मीणा की वीरता और अनुकरणीय साहस को पहचानने की जरूरत है. उनके परिवार को जिन आर्थिक कठिनाइयों का सामना करना पड़ सकता है, उस पर विचार करने की आवश्यकता है. शंभु दयाल मीणा द्वारा दिखाए गए अनुकरणीय साहस और वीरता की पहचान और उनके निधन के कारण उनके परिवार को हुई आर्थिक कठिनाइयों को ध्यान में रखते हुए वीके सक्सेना ने दीपक मीणा को नियुक्त करने के लिए पुलिस कमिश्नर के प्रस्ताव को मंजूरी दी है.
वीके सक्सेना ने दिल्ली पुलिस की (नियुक्ति और भर्ती) नियमावली, 1980 की धारा 30 के तहत अपनी शक्तियों का प्रयोग किया और दीपक मीणा की नियुक्ति को सुविधाजनक बनाने के लिए निर्धारित मानदंडों में ढील दी. इस तरह की छूट के लिए पुलिस आयुक्त की सिफारिशों को मंजूरी दी. एएसआई शंभु दयाल मीणा, मायापुरी थाना में तैनात थे, जो पश्चिम जिला में आता है. वहां ड्यूटी के दौरान उन्हें एक महिला से उनका मोबाइल फोन छीनने की शिकायत मिली थी. मीणा मौके पर पहुंचे और महिला द्वारा पहचान किए जाने पर उन्होंने 24 वर्षीय स्नैचर को दबोच लिया था.
जब एएसआई मीणा आरोपी को थाने ले जा रहे थे, तो उसने अचानक अपनी कमीज के नीचे छुपा चाकू निकाला और मीणा के शरीर के कई महत्वपूर्ण हिस्सों पर कई वार किए. 57 वर्षीय मीना ने खाली हाथ और अपनी जान की परवाह न करते हुए भी अत्यधिक साहस का परिचय देते हुए अपराधी का बहादुरी से मुकाबला किया. कई चोटों के बावजूद, उन्होंने हथियारबंद अपराधी पर काबू पा लिया और उसे पकड़ लिया और पुलिस स्टेशन से आवश्यक सहायता टीम पहुंचने तक अपराधी को भागने नहीं दिया. हालांकि उन्हें तत्काल चिकित्सा सहायता प्रदान की गई. मीणा ने दुर्भाग्य से 8 जनवरी को अपनी चोटों के कारण दम तोड़ दिया.