नई दिल्लीःहर साल 14 जून को विश्व रक्तदान दिवस मनाया जाता है. विश्व स्वास्थ्य संगठन द्वारा वर्ष 2004 में रक्तदान दिवस की शुरुआत की गई थी. दुनिया भर में विश्व रक्तदान दिवस मनाने का उद्देश्य जरूरतमंद लोगों को रक्त उपलब्ध कराना है, जिससे कि रक्त के अभाव में किसी भी मरीज की मृत्यु ना हो. जहां एक तरफ रक्तदान करना विज्ञान की दृष्टि से फायदेमंद माना गया है तो वहीं दूसरी तरफ ज्योतिषी में भी रक्तदान करने का विशेष महत्व बताया गया है.
ज्योतिषाचार्य और अध्यात्मिक गुरु शिव कुमार शर्मा के मुताबिक शास्त्रों में बताया गया है कि रक्तदान करने से व्यक्ति के अशुभ ग्रह टल सकते हैं. लोगों की कुंडली में ऐसे योग होते हैं जिनकी वजह से छोटी या बड़ी दुर्घटना हो जाती है. काफी खून बह जाता है. कई बार ये दुर्घटनाएं मृत्यु का कारण बनती है. जब हम किसी व्यक्ति की जान बचाने के लिए रक्तदान करते हैं तो हमारे ग्रह अच्छे होते हैं. दुर्घटनाएं टलती हैं.
रक्तदान का ज्योतिषीय महत्व
- जन्म कुंडली में मंगल और शनि दुर्घटना कारक ग्रह है. लग्न या दूसरे भाव में राहु, मंगल या शनि मंगल का योग हो उससे दुर्घटना का योग बनता है, क्योंकि अष्टम भाव व्यक्ति का मारक भाव होता है.
- अष्टम भाव बाएं पैर का भी प्रतिनिधित्व करता है और द्वितीय स्थान से अष्टम स्थान पर सप्तम दृष्टि यदि मंगल शनि राहु की होती है तो व्यक्ति को चोट लगती है. लग्न में शनि या मंगल हो तो भी चोट आदि का डर रहता है.
- चतुर्थ भाव में भी मंगल अथवा शनि दुर्घटना का योग बनाते हैं. द्वित्तीय, षष्ठ, सप्तम और अष्टम भाव पर मंगल शनि का अशुभ प्रभाव हो या अष्टमेश अशुभ अवस्था में हो तो उस व्यक्ति को बार-बार चोट ,एक्सटेंट का खतरा रहता है. इन सब की शांति के लिए ज्योतिष में बहुत से उपाय हैं किंतु सबसे उत्तम उपाय रक्तदान हैं.