नई दिल्ली/गाजियाबाद:सनातन धर्म में नाग पंचमी के पर्व का विशेष महत्व बताया गया है. नागों की पूजा करने की परंपरा आदि काल से चलती आ रही है. इस साल 21 अगस्त को नाग पंचमी का पर्व मनाया जाएगा. ज्योतिषाचार्य शिव कुमार शर्मा ने बताया कि श्रावण मास के शुक्ल पक्ष की पंचमी तिथि को नाग पंचमी का पर्व मनाया जाता है. इस दिन नाग देवता की पूजा करने से सर्पदोष समेत सभी प्रकार के दोष से मुक्ति मिलती है. वहीं सोमवार को पड़ने के कारण इसका महत्व और बढ़ जा रहा है.
धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, नाग देवता की पूजा अर्चना करने से आर्थिक स्थिरता, संपन्नता और आध्यात्मिक शक्ति की प्राप्ति होती है. इस दिन सच्चे मन से नागों की पूजा अर्चना करने से जीवन की सभी अड़चनों और परेशानियों का अंत होता है. नाग पंचमी के दिन नाग का दिखाई देना भी बहुत शुभ माना जाता है.
पूजन विधि:नाग पंचमी के दिन प्रात: काल उठकर स्नान करें और साफ सुथरे कपड़े पहनें. इसके बाद व्रत का संकल्प लें. ऐसी मान्यता है कि नाग पंचमी पर व्रत रखने से कालसर्प दोष से मुक्ति मिल जाती है. इस दिन थाली में हल्दी, सिंदूर, चावल, फूल और कच्चे दूध में चीनी मिलाकर नाग देवता की मूर्ति का अभिषेक करें. पूजा की समाप्ति के बाद नाग देवता की कथा और आरती करें. इससे नाग देवता प्रसन्न होते हैं.
नाग पंचमी मनाए जाने की कहानी:गाजियाबाद के प्राचीन दूधेश्वरनाथ मंदिर के महंत नारायण गिरी ने बताया कि नाग पंचमी के दिन अनंत, वासुकि, पद्म, महापद्म, तक्षक, कुलीर, कर्कट, शंख, कालिया और पिंगल नामक देव नागों की पूजा की जाती है. इसके पीछे की कहानी यह है कि शमीक मुनि के श्राप के कारण अर्जुन के वंशज राजा परीक्षित को तक्षक नाग ने काट लिया था, जिससे उनकी मृत्यु हो गई थी. इससे क्षुब्ध होकर उनके पुत्र राजा जनमेजय ने बदला लेने के लिए सर्पेष्टि यज्ञ किया, जिससे सारे नाग अग्रिकुंड में आकर भस्म होने लगे. तब नागों ने आस्तिक ऋषि से प्रार्थना की, जिसके बाद उन्होंने यज्ञ को समाप्त कराया.